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लागारा
नाममाPIYAPTITYPामान्य - -
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को दण्डित नहीं किया। पहले मृतकधन को राजा कुमारपाल* ने छोड़ा था और अब इस समय अकबर बादशाहने कर सम्बन्धी धन को छोड दिया है। पहले गायों को बन्धनमुक्त अर्जुन ने किया था और इस समय वध-मुक्त अकबर ने | किया है । प्रजा के पास से लिये जाने वाले कर का त्याग करने से इस बादशाह
का उज्जवल यश कर्ण, विक्रम और भोज जैसे दानवीर नृपतियों के यश को भी
उल्लंघ कर, ऊँचे स्वर्ग में चढ गया है । क्यों कि उन राजाओं ने जो धन दान । || किया है वह, इस बादशाह के राज्य में उत्पन्न होने वाले एक दिन के भी कर
धन की बराबर नहीं था। इस महान् कर- धन को छोड कर तो इस बादशाह ने संपूर्ण हिन्दु नृपतियों में उच्च पद प्राप्त किया और उत्कृष्ट दयालुता धारण कर । तथा गौ-वध का निषेध कर कुल तमाम मुसलमाम बादशाहों में भी सर्वोत्तम
स्थान का स्वामी बना है। प्रातःकाल में, खूटे की रस्सी से छूट कर, उँचे कान किये और आनंद के मारे ऊछलते कुदते बछडे जो अपनी माताओं का प्रेमपूर्वक । दूध पीते हैं और गायें भी हर्षभर अपने बच्चों का शरीर चाटती हैं; यह सब | अकबर बादशाह की दया ही का प्रताप है। जो स्वयं उच्च-नीच आदि सब ग्रहों का स्वामी है वह सूर्य भी वारूणी (पश्चिम दिशा) का संग प्राप्त कर अस्तदशा को प्राप्त हो जाता है तो फिर सामान्य मनुष्य, जो कमों के दास हैं, उन का तो कहना की क्या ?' ऐसा विचार कर सर्व प्रकार से निन्द्य ऐसी वारूणी (मदिरा| दारू) का इस बादशाहने निषेध कर दिया। कोई भी शस्त्रधारी मेरे सामने शस्त्र नहीं रख सकता, इस खयाल से बादशाह ने वैश्याओं, जो कि काम का शस्त्र धारण करने वाली हैं, उन का बहिष्कार किया। कवि कहता है :- इस बादशाह का शासन कोई नये ही प्रकार का है जो चोरों में अपने गुणों का अभाव करता
* कुमारपाल गुजरात के महाराज थे। उन्हों ने विक्रम संवत् ११९९ से १२३० तक राज्य किया। वे जैनधर्मानुयायी नृपति थे। सुप्रसिद्ध जैनाचार्य श्रीहेमचन्द्रसूरि के सदुपदेश से उन्हों ने अपने विस्तृत राज्य में घूतखेलन, मांसभक्षण, मद्यपान, वैश्यागमन आदि सातों कुव्यसनों का सर्वथा निषेध कर दिया था। उन के पहले, राज्य में यह पुरातन नियम प्रचलित था कि जो कोई मनुष्य सन्तान रहित मर जाता था उस के सर्वस्वका मालिक राज्य बनता था। इस नियम से मरने वाले के निराधार स्त्री आदि कुटुम्बियों को बड़ा कष्ट पहुंचता था। महाराज कुमारपाल ने अपने राज्यत्व काल में इस कष्टप्रद नियम को बन्ध कर दिया था।
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