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हिन्दी-गुजराती धातुकोश
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चपर अ. देश. आपस में खूब अच्छी तरह मिलना लेप करना; भाँपना. गुज. चर्य 1318. 1304
चरचरा अ. अनु. देश. (दे. पृ. 57, दे. श. चपरा अ ना. देश. बनाना, झुठलाना 1304 को. 2) 'चर-चर' शब्द करके टूटना, जलना चपला अ. ना. सम (सं. चपल विशे.) चप- तुल. गुज. चरचर संज्ञा; चचळ 'जलन होना' लता दिखाना; धीरे-धीरे आगे बढ़नाः स.
1319 किसीको चपल बनामा. तुल. गुज. चपल विशे. चरज अ. देश. धोखा देगा, बहकाना अनुमान 1305
करना 1320 चपेट स. ना. देश (चपेट संज्ञा ) आक्रमण करना; चरपरा अ. ना. देश. ( चरपरा विशे.) चर्राना; दबोचना 1306
घाव में खुश्की के कारण तनाव से पीड़ा होना, चपेर स. दे. 'चपेट' 1307
चटपटी वस्तु खाने पर मुँह में हलकी जलन चबक अ. अनु. देश. (दे. पृ. 57, दे. श. को.)
होना. तुल. गुज. चटपटी संज्ञा 1321 .टीसना, दर्द करना 1303
चरमरा अ. ना. अनु. ( चरमर संज्ञा) 'चरमर' चबा स. भव (सं. चर्व : तुल. प्रा. चव्विय विशे.
शब्द होना; 'चरमर' शब्द उत्पन्न करना
1322 दे. इआले 4711) दांतों से कुचलना, चूर करना. गुज. चाच 1309
चरी अ. अनु. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 114, चभोर स. ना. देश. (चभकी संज्ञा ) तरल पदार्थ हि. दे. श.-2 ) खाल में खुश्की के कारण में कोई चीज़ अच्छी तरह इबाना: गरदन से हल्का दर्द होनाः चरचर करके टूटना 1323 पकड़कर किसीको गहरे पानी में गोता देना. चल अ. भव (सं. चल् : प्रा. चल; दे. इआलें तुल. गुज. झबोळ 1310
4716) एक से दूसरी जगह जाना; चलन चमक अ. दे. 'चमक' 1311
होना. गुज. चळ; '-से दूर हटना ' तुल. चाल
1324 चमक अ. दे. ( * चम्मक्क; तुल. सं. चमत्कार
सज्ञा; दे. इआले 4676) जगमगाना. प्रसिद चलक अ. दे. 'चिलक' 1325 होना; चौंकना. गुज, चमक 1312
चव अ. देश. चूना; चुआना 1326 चमचमा अ.. देश. ( • चमक, तल. सं. चमत्कार चस (1) अ. देश. मरना; ठगा जाना
संज्ञाः दे. इआले 4676) चमकनाः स. चम- (2) अ. ना. देश. (चाशनी सज्ञाः दे. . काना. तुल. गुज. चमचम 'जलन' 1313 पृ. 223, मा. हि. को -2) दो चीज़ों का चमट स. दे. 'चिमट' 1314
आपस में चिपक जाना: कपड़े आदि का
खिंचने पर मसक जाना. गुज.' चस; चसक चब स. समा (सं. चि) चयन करना 1314
1327 का भव (सं. चर : प्रा. चर; दे. इआले चहक (1) अ. अनु. देश. (* चहक्क; दे. 15 4686) पशुओं का मैदान या खेत में घास इआलें 4731) जलना आदि खाना. गुज. चर 316
(2) अ. वि. ( चहचह संज्ञाः फा. दे. *चरक अ. दे. 'चिटक' 1317
पृ. 190, हि. दे. श.) चिडियों का चहचहाना चरच स. अर्धसम (सं. चर्य ) चंदन आदि का गुज. चहेक 13.8
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