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ख आवास संज्ञा; दे. इआले 1433 तथा 458) कचार स. अनु. (दे. पृ. 428, मा. हि. को.) ऊमस होना, फलादि का सूखकर पकना पछाडकर पानी से कपडे धोना 700 (2) अ. भव (सं. आ + तपू ; दे. इआले कचिया अ. ना. देश. (कच्चा विशे.) कच्चा 1120) गरम होना 687
पड़ना या होना; हिम्मत हारना; स. किसी *कंख (1) अ. देश. किसी बात की इच्छा होना को साहसरहित करना 701 (2) अ. दे. 'काँख' 688
कचो स. दे. 'कचोक' 702 कँजिया अ. ना. देश. (कँजा संज्ञा ) कंजई रंग कचोक स. अनु. (दे. पृ. 428, मा हि. को.)
का बनना, कुछ नीलापन लिए काला पड़ना; किसी को कोई नुकीली चीच चुभाना 703
दहकते हुए कोयलों का बुझना; झंवाना 689 कचोट अ. अनु. देश. (अ. व्यु. पृ. 104, हि. कँटिया अ. ना. भव (काँटा सं. कण्टक; प्रा. देश.) चुमना, गड़ना; किसी प्रिय जन को
कंटिय; दे इआले. 2668) काँटों से युक्त याद करके दुःखी होना; रह रहकर पीड़ा होना; रोमांचित होना; स. कटि लगानाः रोमां उठना 704 चित करना गुज. कांटो संज्ञा 690
कजरिया स. ना. भव (काजर संज्ञा, काजल; कंथ स. ना. सम (कंथा संज्ञा) कंथा पहनना. सं. कज्जल, प्रा. कज्जल; दे. इआले 2622) गुज. कंथा संज्ञा 691
बच्चों को नजर से बचाने के लिए काजल की कंप अ. दे. 'काँप' 692
बिंदी लगाना; काला करना 705 कष स. अर्धसम (सं. कांक्ष) इच्छा करना; कजला अ. दे. 'कजरिया' 706 देखना 693
कट अ. दे. 'काट' 707 कउँध अ. दे. 'कौंध' 694
कटकटा अ. ना. अनु. ( दे. पृ. 432, मा. हि. ककोर स. देश. (अ. व्यु. पृ. 104, हि. दे. श.) को.) क्रुद्ध होने पर दाँत पीसना. गुज. तुल. खरोंचना; मोडनाः कुरेदना 695
कचकचाव 708 कचक अ. दे. (*कच्च, दे. इआले 2610) कटका स. दे. 'कटकटा' 709 किसी अंग या वस्तु का दब जाना, कुचला कटमटा अ. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 105; हि. दे. जाना; स. दरार पड़ना; स. कुचलना. गुज. श.) काटनी-सी नजर से देखना 710 कचक 'कसकर बाँधना' 696
*कटाष्प स. ना. अर्धसम (सं कटाक्ष ) कटाक्ष कचकचा अ. अनु. (*कच्च; दे. इआले 2612) करना 711 'कचकच' की आवाज होना; दाँत घुसाना.
कटिया अ. दे. 'कँटिया' 712 गुज. कचकचावः कचकच संज्ञा 697 कचर स. दे. पैरों से रगड़ना; कुचलना; बहुत ।
- कटूर अ. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 105, हि. अधिक भोजन करना. गुज. कचर 698
' दे.श.) उपेक्षा या क्रोधपूर्वक देखना, घूरना 713 कचा अ. ना. देश. ( कच्चा विशे. ) डरकर पीले कट्ठ स. देश. काटना; काढना; अ. कटना 714
हटना; कच्चा पडना; स. ऐसा काम करना *कट्या अ. दे. 'कंटिया' 715 जिससे कोई धैर्य छोड दे 699
कठिया अ. ना. भव (काठ संज्ञा; सं. काष्ठ;
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