SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इस प्रकार प्रकृति ह्रास-विकास को पहेलिका को १. डा० गेमो का सिद्धान्त काल को अनन्तता को सुलझाने के लिए जहां एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक चित्रविचित्र स्वीकार करता है फिर भी केवल एक ही संकोच कल्पनाएं करता है, वहां जैन दर्शन सुस्पष्ट विवेचन के विस्तार का प्रतिपादन करता है। द्वारा उसका समुचित समाधान करता है । २. स्थायी प्रयस्थावान् विश्व-सिद्धान्त के निरूपको डा. गेमो के सिद्धान्त के विषय में ये दो बातें ध्यान ने डा. गेमो के सिद्धान्त को प्रति सन्दिग्ध बताया है देने योग्य हैं: और इसके लिए अनेक प्रमाण ' उपस्थित किए हैं। राग मालकोष जिया जग धोके की टाटी । टेक ॥ झूठा उद्यम लोक करत है जिसमें निश दिन घाटी ॥ १ ॥ जान बूझ कर अंध बने हो ___ आखिन बांधी पाटी ॥ २ ॥ निकल जायेंगे प्राण छिणक में पड़ी रहेगी माटी ॥३॥ 'दौलतराम' समझ नर अपने दिल की खोल कपाटी ॥४॥ १-ये प्रमाण अधिक मात्रा में पारिभाषिक होने के कारण यहां नहीं दिये जाते हैं। इसके लिए देखें. दी यूनिवर्स, पृ० ८५, ८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014041
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1964
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1964
Total Pages214
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy