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नौतयागुरुपानऽहल्लाअगिगारदहियाज्योतुलपहल्ला
मायदसतगुरुदादसनाकरित्राअवदीवाडिलीपयडीमो घदी करमकपाटउधाडि-॥ नवथितिजिन्हकाघटिगशा तिन्दकीयहडपदेसाकहतबमारिसिदासयोगमुदनसमुके लस।
॥संवतपश्चग बसा वर्धमानकी पोथीलिपीकृतालिघतामथेन जेमलागढबाबतीमध्या।
प्रसिद्ध जैन कवि श्री बनारसीदास द्वारा रचित एवं १८वीं शताब्दी के प्रारम्भ में लिपिबद्ध किये
उनके एक प्रमुख ग्रन्थ का एक पृष्ठ ।
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चौधरियों के मन्दिर, जयपुर का कलात्मक पुटा ।
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