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________________ १४० श्रद्धय पं० चैनसुखदासजी की अभिनन्दन समारोह श्रद्धय अध्यक्षता में किया गया । स्मृति दिवस समाज के मूक सेवक स्व० मास्टर श्री मोतीलालजी का स्मृति दिवस सन्मति पुस्तकालय के प्रांगण में दिनांक १७ जनवरी १६६४ को पं० देवीशंकरजी तिवाडी की अध्यक्षता में प्रायोजित किया गया। इस स्मृति दिवस में जैन भजैन लोगों ने काफी संख्या में भाग लिया । सभा के इस कार्यक्रम से प्रेरित होकर स्व० मास्टर मोतीलालजी की स्मृति में एक उपयुक्त स्मारक बनाने तथा सन्मति पुस्तकालय को अधिक विकासोन्मुख बनाने के अभिप्राय से एक समिति का गठन भी हुआ। जैन कर्मचारियों के लिये सुविधा राजस्थान में सरकारी कार्यालयों का समय प्रातः ६ बजे से सांयकाल साढे ५ बजे तक का हो जाने के कारण शरद ऋतु में सूर्यास्त जल्दी होने से जैन कर्मचारियों को अपना सायंकालीन भोजन रात्रि से पूर्व करने में बडी कठिनाई होने लगी थी। सभा ने सरकार का ध्यान इस ओर प्राकृष्ट किया । फलस्वरूप राज्य सरकार ने आधा घण्टा लन्च समय का उनके लिये कम कर सायंकाल में साधा घण्टा जल्दी जाने की नवम्बर मास से जनवरी मास तक प्रति वर्ष के लिये घोषणा की। सभा राज्य सरकार के इस सहयोग के लिये प्राभारी है । श्रद्धांजलि एवं शोक प्रसिद्ध जैनाचार्य मुनि श्री गणेशलालजी महाराज के निधन पर सभा द्वारा श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गई। हिंसक प्रवृत्तियों का विरोध महाराष्ट्र सरकार द्वारा देवनार में खोले जाने वाले बूचडखाने का एक प्रस्ताव द्वारा विरोध किया गया। पंजाब सरकार द्वारा बच्चों को पौष्टिक भोजन के लिये झंडा स्कूल में वितरण किये जाने की योजना का विशेष दिया गया । राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम इस संबंध में एक स्मरणपत्र द्वारा सरकार का ध्यान भेजे गये प्रावश्यक सुझावों की घोर शीघ्र प्रादेश प्रसारित करे, निवेदन किया गया । Jain Education International संस्था की आर्थिक स्थिति संस्था की आर्थिक स्थिति सुदृढ नहीं है । सदस्यता शुल्क केवल मात्र २५ नया पैसा वार्षिक है। इसके अतिरिक्त जयन्ती पर समाज से अधिक सहायता प्राप्त की जाती है। संस्था को समय समय पर सार्वजनिक कार्यक्रम व अन्य प्रकार की अनेकों प्रवृत्तियों का प्रायोजन करना पडता है । प्राय के इन अल्प साधनों में यह सब करना अत्यधिक कठिन हो जाता है । परिणामतः हमेशा ही प्रार्थिक विषमता का सामना करना पडता है । इन कठिनाइयों के कारण संस्था उतना काम नहीं कर पाती जितनी की इससे अपेक्षा की जा सकती है। आभार प्रदर्शन सभा को समाज के सभी सम्प्रदायों की संस्थानों, कार्यकर्ताओं एवं सहयोगियों का पूरा पूरा सहयोग मिला है जिसके फलस्वरूप ही उसे अपने कार्यों में सफलता प्राप्त हुई है। उन सभी के लिये यह सभा उनका साभार प्रगट करती है। स्मारिका ग्रन्थ की तैयारी में तथा इसके लिये साधन व सामग्री जुटाने में जिन लेखकों कवियों, विज्ञापन दाताओं यादि से सहयोग व सहायता प्राप्त हुई है उन सब के प्रति सभा प्रभारी हैं। विशेषतौर पर बाबू छोटेलालजी कलकता, मूलचन्दजी पाटनी बम्बई, प्रवीणचन्दजी छाबडा, हीराचन्दजी पाटनी, जुबली ब्लाक वनर्स हेमेन्द्र जैन बगडा, केवलचन्दजी ठोलिया, मालयन्दजी जैन, विजयचन्दजी वेद, चतुरमलजी अजमेरा पं० मिलापचन्दजी आदि का नाम उल्लेखनीय है। यहां मैं अपनी प्रवन्ध समिति के सभी सदस्यों की सराहना करता हूं जिन्होंने सभा के सभी कार्यों में पूर्ण सहयोग प्रदान किया है जिनके कारण सभा अपने कार्यों में सफल रही है विशेष तौर पर श्री बेशरलालजी बक्षी के हम अत्यन्त कृतज्ञ हैं जिनके नेतृत्व में सभा फली व फूली है और धार्थिक सहयोग प्रदान कर सभा को सहायता पहुँचाई है । अन्त में वर्तमान कार्यकारिणी के सभी सदस्यों का पुनः प्राभार प्रकट करता हूं और और माशा करता हूं कि उन इसी भांति नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को पूरा पूरा सहयोग मिलता रहेगा। • For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014041
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1964
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1964
Total Pages214
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size15 MB
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