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1121 ई. के शिलालेख में लिखा है क्या अन्य उक्त उल्लेखों से स्पष्ट है कि श्रवणेबलगोल स्त्रियाँ चातुर्य, सौन्दर्य और जिनभक्ति में इसकी तीर्थ के साथ पुरुषों की तरह नारी जाति का भी समानता कर सकती है । गंगराज के बड़े भाई की सभी क्षेत्रों में घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। नारी अपने मत्नी जक्कणब्बे सेनापति बोप की माता थी। तप, तेज को उद्दीप्त कर स्वयं साधनारत रही है शिलालेख नं. 43 में उल्लेख है कि जैनधर्म में तथा दूसरों के लिए प्रेरणा और शक्ति बनकर उसकी भारी श्रद्धा थी। उसने जिन मूर्ति तथा एक प्रकट हुई है। तालाब का निर्माण कराया।
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