________________
* जन्म मंगल गीत *
. डा० बड़कुल 'धवल', बरेली
शचि रम्भा गावे गीत, ज्ञान-रवि प्रकासा ॥ टेक ॥
भयो-भयो रे, वीर अवतार, मुदित त्रिसला रानी ।
अति पुलकित नृप सिद्धार्थ, सुनी जब यह बानी।। माये चतुनिकाय देव, हर्ष जन-मन बासा । शचि० ॥१॥
भये चमत्कार बहुभांति, चकित देखें प्रानी ।
सम्मोहित रति-अनंग, नृत्य की मन ठानी ॥ नाचे किन्नरि-गंधर्व, हृदय धरि उल्लासा । शचि० ।। २॥
इन्द्रानी बलि-बलि जाय, रुन-झुन ताली पर ।
बाजें नोबत रमणीक, उत्सव द्वारे पर ॥ सुधि भूली सकल जहान, पूर्ण भई मन पासा । शचि० ॥ ३ ॥
इक जादू सी मुस्कान, अधर मोहक राता । __ थी प्राभा दिव्य महान, भास्कर विसराता ॥ सोहर गावें केई-नारि, 'धवल' मोहक भासा । शचि० ॥ ४ ॥
1-20
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org