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________________ भद्रबाहु के सहोदर प्रकाण्ड ज्योतिष विद्वान् वराह- माना जाता है। इस राजा ने अपने देश की आय मिहिर को अब ई० पू० १२३ से ई० पू० ४१ के की जो उसे नाविकों से कर द्वारा प्राप्त होती थी, समय होने का निर्धारित किया जाने लगा है ।11 वह जुनागढ़ के गिरि नगर पर्वत पर अरिष्ट नेमि की पूजा के लिए प्रदान की थी।12 इससे यह भी इस तरह श्री कृष्ण की ई० पू० ३१०२ में प्रगट होता है कि ई० पू० ११४० के पहिले से ही मृत्यु स्वीकार कर उससे पहिले उनका जीवित होना भ० नेमिनाथ की पूजा होती थी और उनकी पूजा बैठता है। वही समय भ० नेमिनाथ का भी होना के लिए मंदिर बने हुए थे। चाहिए। किन्तु, जैन अनुश्रु ति के अनुसार भगवान् पार्श्वनाथ से ८३७५० वर्ष पहिले भ० नेमिनाथ हए वेदों में अरिष्ट नेमि का उल्लेख बतलाया ही थे अर्थात् महावीर के मुक्ति लाभ के ८४१७२ वर्ष गया है। वेदों का संकलन कोलबुक के अनुसार पहिले । यह पद्मपुराण (दौलतरामजी कृत हिन्दी ई० पू० १४१० और प्रो० सिटनी के अनुसार टीका) एवं प्राचार्य रविषेण कृत 'पद्म चरित्र' के ई० पू० १३३८ बतलाया है। गणित क्रिया करने श्लोक ८६, पर्व २०वां से प्रगट है। इनका यह से वेदांग-ज्योतिष में प्रतिपादित अयन ई० पू० समय तो कभी हो ही नहीं सकता यदि हम इन्हें १४०८ में प्राता है। क्योंकि ई० पू० ५७२ में श्री कृष्ण का चचेरे भाई स्वीकार करें। यदि रेवती तारा सम्पाती तारा मानी गई है । यह समय ३१०२ ई० पू० में जो कि श्री कृष्णजी की मृत्यु उत्तरासाढ़ के प्रथम चरण में उत्तरायण माना गया का समय है, भगवान् नेमिनाथ की आयु १००० है। लेकिन, वेदांग-ज्योतिष के निर्माण काल में और जोड़ दें तो उनके जीवित होने का समय धनिष्ठारम्भ में उत्तरायण माना जाता था। इस ४१०२ ई० पू० होता है, यह समय ही ठीक बैठता गणना के हिसाब से वेदांग का रचना काल ई० पू० १४०८ पाता है । वेदों में नेमि का नाम प्रायः मंत्र पूजा में ही आया है ।13 इसलिए वेदों से बहुत 'प्रभास पट्टन' के प्राचीन ताम्र पत्र में जिसका पहिले नेमिनाथ हो चुके थे। इसलिए उनका मंत्र अनुवाद डॉ० प्राणनाथ विद्यालंकार ने किया है, पूजा में नाम आया है। डॉ० हीरालाल जैन के बेबीलोन के राजा नेबुचन्द नेजर के द्वारा सौराष्ट्र अनुसार उनका समय ई० पू० १००० कदापि नहीं के गिरिनार पर्वत पर स्थित नेमि मंदिर के जीर्णो- हो सकता ।14 यदि श्री कृष्ण के समकालीन नेमिद्धार का उल्लेख है। बेबीलोन के राजा नेमिचंद नाथ को माना जावे तो ई० पू० ४१०२ से ई० पू० नेजर प्रथम का समय ११४० ई० पू० के लगभग ३१०२ का समय इनका अवश्य हो सकता है । ११. 'कादम्बिनी' दिस० ६६ में प्रकाशित लेखक का लेख 'वराह मिहिर का काल निर्णय' । १२. अनेकांत वर्ष ११, किरण -१. १३. यजुर्वेद अध्याय ६ मंत्र २५. १४. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान-डॉ० हीरालाल जैन पृ० २०. 2-96 महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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