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इससे यह स्पष्ट होता है कि महाभारत युद्ध
___ पंचाशत्सु कलौ काले षट्सु पंच शतासुच । कलि और द्वापर की संधिकाल में हुआ था। समासु सम ही तासु शकाना मापि भुजाम् ॥ कलियुग का प्रारम्भ जिस दिन श्री कृष्ण का
कलि के ३७३५ व्यतीत होने पर, जब शक देहावसान हुआ---उसी दिन से हुआ माना जाता
संवत् ५५६वें वर्ष में था, उस समय यह शिलालेख है। वायु पुराण ६९।४२८ में लिखा है---
लिखा गया । अर्थात् शक संवत् से ३१७६ वर्ष पूर्व यस्मिन् कृष्णो दिवं यातस्तस्मिन्नेव तदा दिने ।
का प्रारम्भ हुआ। शक काल का प्रारम्भ ७८ ई० प्रति पन्नम् कलियुगं तस्य संख्यां निबोधते: ।। पू० में हुआ था। ईस्वी गणनानुसार कलि का विष्णु पुराण ४।२४।११३ में लिखा है
प्रारम्भ ३१०२ वर्ष पूर्व बैठता है । इस प्रकार ई०
पू० ३१०२ में कलियुग का प्रारम्भ हुआ । युधिष्ठिर 'अस्मिन् कृष्णो दिवं यास्तस्मिन्नेव तदा हनि।
की मृत्यु ई० पू० ३०७६ में मानी जाती है। प्रतिपन्नं कलियुगं तस्य संख्यां निबोध में ॥
युधिष्ठिर का काल और शक काल में २५२६ वर्ष
का अन्तर पाता है। यह दूसरे शक संवत् ईरानी विष्णुपुराण ४।२४।१०६ में भी यही इतिहास के अनुसार साइरस या शक नृपति के लिखी है
समय ५५० ई० पू० में हुआ था। यह ईरान में
'एलम' का राजा था और इसने ५५० ई० पू० में बतनपाद पद्माभ्या मस्यशया वसुधराम्। पड़ोस के गज्यों को जीतकर ईरानी साम्राज्य की तावत्पृथ्वी परिस्तंगी समर्थो वा भवत्कलि. ।। स्थापना की थी। इसी 'शक-नृपति' के साम्राज्य इन उद्धरणों से प्रगट होता है कि जिस दिन
स्थापित के समय इस शक काल का प्रारम्भ श्री कृष्ण का देहावसान हुआ--उसी दिन कलियुग
हुआ 110 इसकी पुष्टि वृहत्संहिता १३१३ से हो का प्रारम्भ हुआ।
जाती है___ कलियुग के प्रारम्भिक काल के विषय में
आसन् मघासु मुनयः शासति योरोप के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद बेली ई० पू० ३१०२
पृथिवीं युधिष्ठिरे नृपतो। स्वीकार करते हैं।
षड् द्विक पंच वियुत
शक कालस्तस्य राज्ञश्च ।। चालुक्य कुल के महाराज सत्याश्रम पुलकेशी द्वितीय का बीजापुर में ऐलोही नामक स्थान के जैन
अर्थात् महाराजा युधिष्ठिर के काल में मुनियों मंदिर में प्राप्त शिलालेख से भी यह तथ्य प्रगट
का मघा में आसन था। उस राजा के काल से होता है
२५२६ वर्ष पश्चात् 'शक काल' का प्रारम्भ हुआ ।
इस तरह ३०७६ ई० पू० में २५२६ घटा देने पर त्रिशत्सु त्रिसहस्रसु भारता दाहवादितः । ५५० ई० पू० शक संवत् ही आता है । इसी शक सप्ताद शत युक्त सु शतेष्वब्वेसु पंचसु॥ संवत् के आधार पर और जैन अनुश्रुति के अनुसार
८. थोगोनी आफ दी हिन्दुज पृ० ३२. ६. स्व० श्री पं० भगवद् दत्त जी द्वारा रचित भारतवर्ष का वृहद् इतिहास द्वितीय भाग पृ० २१२. १०. भारत का प्राचीन इतिहास-डॉ० सत्यकेतु विद्यालंकार पृ० १२४-१२५.
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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