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________________ मुनि शास्त्री, मुनि संतवाल, मुनि भद्रगुप्त विजय (जोधपुर) (ग) महावीर सन्देश (घ) वीर-परिप्रादि ने महावीर के धर्म दर्शन को मुक्त भाषा में निर्वाण । उपस्थित कर दिया है। प्राचार्य तुलसी, मुनि नथमल, मुनि भद्रगुप्त विजय और मुनि अमरेन्द्र विजय तीर्थङ्कर' को प्रकाशित होते पांच वर्ष हो चुके के महावीर-विषयक चिंतन में जो निर्भीकता, स्वतं- हैं। इसके सम्पादक डा० नेमीचंद जैन और प्रबंध प्रता, साम्प्रदायिक विहीनता तथा अनुशीलनपरकता सम्पादक प्रेमचंद जैन हैं। यह एक विचार-मासिक देखने को मिलती है-वह दुर्लभ भी है और गरिमा है जो कि नव साहस, विश्वास तथा जागृति का की निधि भी। प्रबुद्ध प्रतीक है। इसे 'सद्विचार की वर्णमाला में 'सदाचार का प्रवर्तन' कह सकते हैं। इसके 'महावीर विश्वधर्म के उद्गाता मुनीश्वर विद्यानंद स्वामी जयन्ती-अंक' (अप्रैल, १९७३), 'समयसार अंक' का मनन समन्वय तथा अनेकांत से मण्डित है। (सितम्बर, १९७४', 'निर्वाण अंक' (नवम्बर, निर्वाण-पर्व में उनकी वाणी व्यापकता, वैज्ञानिकता १९७४), तथा 'वर्द्धमान विशेषांक' (अप्रैल,१६७५) तथा विद्वत्ता से आपूर्ण रही। विशेष उल्लेखनीय है । हाल ही में प्रकाशित इसके 'मुनि श्री विद्यानंद-विशेषांक' (सन् १९७४) तथा आजकल जिन-तत्व के तेजस्वी प्रवक्तामों में 'श्रीमद्विजय, राजेन्द्र सूरीश्वर विशेषांक' (जूनवीरेन्द्र कुमार जैन, जमनालाल जैन, डा० नेमीचन्द जुलाई, १९७५) ने जैन जगत् में धूम मचा दी है । जैन प्रादि हैं जिन्होंने विद्रोही आलोक को जन्म वस्तुतः 'तीर्थङ्कर' जैन विश्व सारिका है। दिया है। नये जिन-तत्व-गवेषकों में भानीराम 'अग्निमुख,' विश्वेश्वर महावीर' के प्रधान सम्पादक प्रकाश माणकचंद कटारिया, डा० कमलचंद सोगानी, डा० जैन बांठिया हैं । मासिक 'महावीर-संदेश' (मध्यकस्तूरचंद जैन, डा० प्रेमसुमन जैन आदि प्रगतिशील प्रदेश) के सम्पादक डा० राजेन्द्रकुमार रह चुके हैं। और महनीय प्रतिभाएं हैं जिन्होंने जैन-मनीषा के 'वीर-परिनिर्वाण' भगवान महावीर २५०० वां क्षितिज को आधुनिकता, युगबोध, यथार्थवादिता निर्वाण महोत्सव महासमिति का मासिक प्रकाशन तथा प्रभविष्णुता की लालिमा से परिपूर्ण कर है जिसके प्रधान सम्पादक अक्षयकुमार जैन और दिया है। कार्यकारी सम्पादक एल० एल० आच्छा हैं। .... हिन्दी-पत्रकारिता में तीर्थंकर महावीर : महावीर महापरिनिर्वाणोत्सव के अन्तर्गत अनेक जैन-पत्रकारिता अत्यन्त पुरानी है और पुराने हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं ने विशेषांक प्रकाशित किए जीवित समाचार पत्रों में 'जैनगजट' (अजमेर) आज भी सन् १८६५ से हिन्दी तथा जैन धर्म की निष्ठा निर्वाण विशेषांक' (नवम्बर, १९७४) (सम्पादक : वान सेवा में निरत है। ऋषभदास रांका, प्रबंध-सम्पादक : चंदनमल 'चांद'), साप्ताहिक 'मालव प्रहरी' (उज्जैन) का वीर, भगवान् महावीर के नाम से सम्बन्धित चार परिनिर्वाण विशेषांक (१४ नवम्बर, १९७४) (प्रधान पत्रिकाएं मिलती हैं। इनका जन्म निर्वाण- सम्पादक : कृष्णादेवी गुप्ता, विशेषांक परामर्शक : वर्ष से ही सम्बन्धित है-(क) मासिक 'तीर्थङ्कर' आर० के० गुप्ता), 'जैन-जगत्' का 'भगवान् महा(इन्दौर) (ख) मासिक 'विश्वेश्वर महावीर' वीर वंदना विशेषांक' (दिसम्बर-जनवरी, १९७५), महावीर जयन्ती स्मारिका 76 2-37 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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