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________________ जैन, डा० नरेन्द्र भानावत, डा० रामचन्द्र द्विवेदी, डा० नन्दलाल जैन, डा० महावीर राज गेलड़ा, डा० महावीर सरन जैन, प्राचार्य कृष्णदत्त वाजपेयी, डा० गोकुलचंद जैन, डा० देवेन्द्र कुमार जैन, डा० देवेन्द्र कुमार शास्त्री, श्री अगरचंद नाहटा, डा० कमलचंद सोगानी, डा० कस्तूरचंद कासलीवाल, डा० हुकुमचंद भारिल्ल, डा० नेमिचंद शास्त्री, डा० पन्नालाल साहित्याचार्य, डा० दरबारीलाल कोठिया श्रादि आते हैं । हिन्दी निबंध - वाङ्मय में तीर्थंकर महावीर : तीर्थंकर महावीर पर इस बीच बड़े सुलझे, व्यवस्थित, विचारोत्तेजक तथा नवीन दृष्टि से निबंध लिखे गये हैं । इनमें प्राचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (आत्मजयी भगवान् महावीर ), डा० प्रभाकर माचवे ( महावीर की महता और वर्तमान युग में महावीर के उपदेशों की सार्थकता ), कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' ( इतिहास-पुरुष की श्रृंखला में महावीर ), वीरेन्द्र कुमार जैन (ग्राधुनिकता-बोध और महावीर, महावीर का धर्म-दर्शन : आज के सन्दर्भ में ), यशपाल जैन ( बदलते सन्दर्भों में महावीर की भूमिका), डा० नेमीचन्द जैन ( महावीर : ग्रपरिग्रह और ब्रह्मचर्य), बाबूलाल पाटौदी ( भगवान् महावीर के संदेशों में लोक मंगल), जमनालाल जैन ( महावीर कितने ज्ञात कितने अज्ञात), मानकचंद कटारिया ( महावीर : अहिंसा और सह-अस्तित्व ), प्राचार्य काका कालेलकर ( जैन धर्म का तात्कालिक भविष्य : नया पुरुषार्थ और भगवान् महावीर का सर्वधर्म कुटुम्ब ), डा० विश्वम्भरनाथ उपाध्याय ( महावीर और मूल्य संकट), वर्द्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री (गरीबी हटाओ के सन्दर्भ में महावीर का तत्व - ज्ञान ), डा० उम्मेदमल मुणोत ( बदलते सामाजिक मूल्यों में महावीर वाणी की भूमिका ), डा० कुसुम पटोरिया ( महावीर की विचारधारा में समतामूलक रचना ), आचार्य विनोबा भावे ( भगवान् महावीर का निर्वाणोत्सव एवं शाकाहार 2-36 Jain Education International संकल्प), डा० उम्मेदमल मुनोत (भगवान् महावीर की दृष्टि से प्रभाव और मंहगाई का हल ), आचार्य श्री तुलसी (यदि तीर्थंङ्कर नहीं होते), अगरचंद नाहटा (भगवान् महावीर सम्बन्धी महाकाव्यों की परम्परा), डा० कस्तूरचंद कासलीवाल (हिन्दी में उपलब्ध महावीर - साहित्य) के नाम अविस्मरणीय हैं । जैन साध्वियों में साध्वी श्रीकनक प्रभा, प्रमुखा श्री नगीना, मधुमति, लक्ष्मीकुमारी, राजीमती, यशोधरा, कस्तूरां, मंजुला, संघमित्रा, कमलश्री, अरिणमाश्री, गुलाब, चन्दन बाला, रामश्री, मंजुबाला, जिनप्रभा, उषाकुमारी, धनकुमारी, ज्ञानमती, कनकश्री, आनंद श्री, प्रादि ने तथा जैन मुनियों में श्री नथमल, जशकररण 'सुजान,' रवीन्द्रकुमार, रूपचन्द्र, छत्रमल, राकेश कुमार, महेन्द्र कुमार, विजयराज, मोहनलाल 'शार्दूल,' दुलहराज, हरीश, गुलाबचन्द्र 'निर्मोही,' नगराज, छत्रमल आदि ने महावीर के व्यक्तित्व तथा संदेशों को अपने सारगर्भित स्फुट निबंधों से आलोकित किया है । आधुनिक जैन - मनीषा में तीर्थंकर महावीर : जैन विद्वानों की पिछली पीढ़ी में कैलाशचन्द्र शास्त्री, फूलचंद सिद्धान्तशास्त्री, नाथूलाल शास्त्री, स्वर्गीय न्यायाचार्य पं० महेन्द्रकुमार, परमेष्ठीदास, कानजी स्वामी, आदि ऐसे वैतालिक हैं जिन्होंने भगवान् महावीर स्वामी और उनके चिंतन को मौलिकता पूर्वक प्रस्तुत किया था । विगत पचास वर्षों में महावीर को निःसंग तथा आधुनिक दृष्टि से प्रस्तुत करने वाले जैन मनीषियों में मुनीश्वर बुद्धिसागर, महापण्डित सुखलाल, स्वामी सत्यभक्त, बाड़ीलाल मोतीलालशाह, श्राचार्य तुलसी, प्राचार्य रजनीश, जैनेन्द्र कुमार, मुनि नगराज, मुनि नथमल मुनि महेन्द्र कुमार, मुनि रूपचंद, मुनि किशनलाल साध्वी राजीमती आदिके नाम ससम्मान परिगणित किए जा सकते हैं । वर्तमान समय में मुनि सुशीलकुमार, उपाध्याय श्री अमर मुनि, देवेन्द्र महावीर जयन्ती स्मारिका 76 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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