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ब्रह्मचर्य पालन चरित्र निर्माण का पहला अंग है । भोग-विलासी शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक स्थिति से सदैव कमजोर रहता है। अधिक भोगी शराबी एवं मादक वस्तुओं का आदी होगा । आज विश्व में ब्रह्मचर्य पालन न करने के कारण नारी की इज्जत सरेआम लुटी जा रही है । बलात्कार आज आम बात हो गई है । औरतों को भगाकर ले जाना विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है । इसका मुख्य कारण है इन्सान में भोग-विलास की प्रवृत्तियों का प्रादुर्भाव | इसलिये भगवान् महावीर स्वामी ने जनकल्याण हेतु मानवता के नाते ब्रह्मचर्य पालन पर अधिक बल दिया ।
ब्रह्मचर्य के पालन न करने के परिणामस्वरूप कई योद्धाओं को मुंह की खानी पड़ी। औरतों के कारण शासन पलट गये, शासकों को मार दिया गया, आज भी ऐसा प्रचलित है । जनसंख्या बढती जा रही है जो आज विश्व की महान समस्या है क्योंकि इन्सान भौतिक साधनों, प्राधुनिक रहन-सहन के वातावरण से अधिक भोगी बन बैठा है जिसके परि रणामस्वरूप अधिक बच्चे । बढ़ती आबादी ने बेकारी, बेरोजगारी, भुखमरी फैला दी है। यदि इन्सान ब्रह्मचर्य का पालन करता है तो न वह अधिक बच्चों की उत्पत्ति का भागीदार बनता है अपितु अपने स्वास्थ्य को भी ठीक रख सकेगा । विश्व की कई समस्याओं का समाधान भी हो सकता है, जब ब्रह्मचर्य का पालन किया जाय ।
अपरिग्रह विश्वज्योति महावीर स्वामी की विश्व को एक अमूल्य देन है विश्व में काला बाजारी, चोरबाजारी, भ्रष्टाचार, तस्करी, संग्रह करने की प्रवृत्ति के कारण बढती है। जिसके परिरामस्वरूप महंगाई, बेकारी, दरिद्रता, गरीबी बढ़ने
महावीर जयन्ती स्मारिका 76 ..
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लगती है । जनमानस का जीवन नारकीय बन जाता है । महावीर स्वामी ने संग्रह न करने हेतु अपरिग्रह का मार्ग बताया । कम से कम वस्तुओं का उपयोग किया जाय और उसका संग्रह न किया जाय ताकि समाज के अन्य वर्गों को भी उसका उपयोग करने का अवसर मिल जाय । विश्व में अन्न होते हुए भी भुखमरी क्यों ? वस्त्र होते हुए भी नग्नता कैसे ? इसका कारण है कि चन्द लोगों की लोभवृत्ति ने इन वस्तुओं का संग्रह कर रखा है । महावीर स्वामी ने संग्रह को अभिशाप बताया । यदि विश्व संग्रह - प्रवृत्तियों को त्याग दे तो शान्ति का साम्राज्य फैल जाय, गरीबों को जीने का अवसर मिल जाय, अविकसित देशों को विकास करने का मौका मिल जाय ।
आज हम देखते हैं कि एक देश शस्त्र संग्रह करता है तो दूसरा देश भी अपनी रक्षा के लिये शस्त्र संग्रह करने की होड़ करता है । भले ही उसके देश की प्रार्थिक स्थिति डांवाडोल क्यों न हो । प्रजा भूख से क्यों न मरे । कर भार से भले ही दब जाय । महंगाई से परेशान भले ही हो उसे तो संग्रह करना है । आज हम जगह-जगह देखते हैं कि संग्रह करने वाले ही लूटे जाते है, मारे जाते हैं। क्यों ? क्योंकि उनके संग्रह से आम नागरिक को जीने की वस्तुएँ मिलनी दुर्लभ हो जाती हैं । इसलिये विश्व की महान विभूति महावीर ने संग्रह न करने के लिये अपरिग्रह सिद्धान्त को बताया ताकि विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान हो सके ।
भगवान् महावीर के मे अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह सिद्धान्त ही विश्व में फैली आधुनिक समस्याओं का एक मात्र उपाय है । विश्व शान्ति के लिये भगवान् महावीर स्वामी के इन सिद्धान्तों को अपनाना ही होगा ।
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