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________________ के धनी, मोह-माया एवं ममला के त्यागी भगवान् लड़ाइयां उत्पन्न हो जाती हैं । वाणी में कटुसत्यता श्री महावीर स्वामी के बताये सिद्धान्तों का यदि होने पर सम्भवतः युद्ध, संघर्ष, झगड़ों का प्रादुर्भाव आचरण किया जाय तो समाधान अवश्य ही संभव नहीं हो सकता है। सत्य बोलने से विश्वास बढ़ है। भगवान् महावीर के बताये अहिंसा, सत्य, जाता है। विश्वास से ही विश्व की कई समस्याओं अचौर्य, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह सिद्धान्त को प्रत्येक का स्वतः ही समाधान हो जाता है । सत्य बोलने नागरिक अपने जीवन में उतारे तो विश्व में फैली से अविश्वास दूर भाग जाता है । लोभ, क्रोध, भय, सभी प्रकार की समस्या का समाधान स्वाभाविक असत्य-भाषण के अंग होते हैं। जिनके कारण विश्व ही है। में कटुता, दीनता, हीनता पनपती है। झूठ के कारण एक देश दूसरे देश के बीच परस्पर युद्ध न होता .. महावीर स्वामी ने अहिंसा पर विशेष बल हो तो कर बैठता है। जिसके भीषण परिणामों से दिया है । उन्होंने जीवो और जीने दो का एक बुलन्द सब नागरिकों को भुक्तभोगी बनना पड़ता है । नारा विश्व को दिया है। कोई भी उसका पूरी असत्य भाषण से वातावरण दूषित होता है। असत्य तरह पालन करता है तो सभी समस्याएँ स्वतः ही बोल अातंक फैलाता है। असत्य वाणी के कारण हल हो जाती हैं। सब को जीने दो, सब जीना जनसाधारण में आक्रोश की भावना उत्पन्न की जा चाहते हैं। यदि आप उनकी हिंसा करने को उतारू सकती है । झूठ का विश्व के सभी ऐतिहासिक महाहो जाते हैं तो स्वाभाविक है कि वातावरण हिंसा- पुरुषों ने बहिष्कार किया है। सत्य वचनों से ही मय बन जावेगा। हड़ताल, आन्दोलन जब हिंसा विश्व का कल्याण सम्भव है। का रूप धारण कर लेते हैं तब हत्याएँ, आगजनी का तांडव नृत्य हो जाता है । आज विश्व हिंसा की प्रचौर्य सिद्धान्त को महावीर स्वामी ने प्रतिप्रवृत्तियों में लिप्त हो चुका है। सत्ता की लोलुपता पादित करते हुए कहा कि यदि चोरी, डाके की में हिंसा, पद की लोलुपता में हिंसा, मान सम्मान प्रवृत्ति से इन्सान दूर र ता है तो वह न केवल अच्छी प्राप्त करने में हिंसा, धनिक बनने में हिंसा, शासन प्रवृत्तियों में अभ्यास है अपितु वह राष्ट्र के लिये के. उच्च पद के लिये हिंसा, समृद्धिशाली देश बनने बहुत बड़ा योगदान दे सकता है। चोरी लोभ को में एक दूसरे देश के प्रति हिंसा का सहारा लेने के उत्पन्न करती है और लोभ राष्ट्रद्रोह तक का कार्य कारण विश्व का कोना-कोना अशान्ति का घर बन । करवाने के लिये इन्सान को प्रेरित करता है । इसी चुका है । हिंसावृत्ति के कारण विश्व में चारों ओर कारण तस्करी बढ़ती है । तस्करी के कारण आर्थिक अनेकों समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं। विश्व की अनेकों संकट उत्पन्न हो जाता है और देश की माली हालत समस्याओं का समाधान करने के लिये महावीर डांवाडोल हो जाती है । चोरी के कारण ही अन्याय, स्वामी द्वारा बताई अहिंसा का उपयोग ही सर्वश्रेष्ठ । __ आतंक, अविश्वास, अप्रीति बढ़ने लग जाती है अस्त्र मात्र है। महावीर स्वामी ने यहां तक कि जिसके परिणामस्वरूप विश्व धरातल पर आक्रोश राग, द्वेष, क्रोध करने पर भी हिंसा बताई है। का वातावरण फैल जाता है । चोरी ही भूठ, संग्रह, • यदि विश्व में राग, द्वेष, क्रोध प्रवृत्तियां कम हो हिंसा जैसी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न करती है । चोरी करना जाती हैं तो शान्ति, सद्भावना, भाईचारे का वाता महावीर स्वामी ने भीषण पाप बताया है । महावीर वरण विश्व में फैल जाता है । प्रभु के प्रचौर्य सिद्धान्त को जीवन में अपनाने वाला इन्सान एवं विश्व का कोई देश कभी भी दुःखीअसत्य वाणी के कारण ही झगड़े, संघर्ष, दरिद्र एवं दानव नहीं बन सकता । 1-82 महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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