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स्मारिका सम्पूर्ण जैन समान का प्रकाशन है । भगवान् महावीर के जीवन प्रसों, स्त्री मुक्ति, मल्लीनाय स्त्री थी अथवा पुरुष, मादि कई बातों को लेकर जैन समाज के विभिन्न सम्प्रदायों में मतभेद हैं जो छुपा तथ्य नहीं है । हमारी पाठकों से इस सम्बन्ध में सहिष्णुता बरतने की प्रार्थना है।
कुछ रचनाएं स्मारिका में स्थान नहीं पा सकी हैं जिनका यथासाध्य अन्य अवसर पर उपयोग करने का प्रयत्न होगा नहीं तो वे लेखकों को लौटा दी जावेंगी।
-भंवरलाल पोल्याका
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