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अहिंसा रा दूत : भगवान महावीर
अहिंसा री महिमा भारत रै दर्शन र इतिहास माहि पुराणा जमाना स्यू ही मिल ह । "भारत रा पागम गिरंथ, वेद, पुराण, रामायण, महाभारत सभी इ बात रा साथी देवे है। बौद्ध दर्शन मांहि भी 'अहिंसा' पर ध्यान दियो गयो है; पर महावीर रा विचारां और दर्शन मांहि अहिंसा पर विशेष बल मिले ह्व। व्हठ अहिंसा री सूक्षम विवेचना की गई है।
अहिंसा, महावीर रा दर्शन री खास बात है । इणी री व्याख्या मांहि सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य 'र अपरिग्रह या चारव्रतां री भी 'सामिल हह। महात्मा गांधी भी महावीर री इण अहिंसा स्यू प्रभावित रह्या । गांधीजी या चार व्रतो नै प्रापणा इग्यारह सेवाव्रता माहि गिरणं छ। __ प्राचारांग सूत्र मांहि महावीर देव कह हैसंसार रा सारा प्राणी जीवा चाह्व। कोई ने भी मरवो भलो न लागे । सबने भापणो जीवन प्यारो लाग है। प्राणी मात्र ने मारबो, या मारण वास्त विचार करवो भी हिंसा ही कहलावै । आपणा समै री जन भाषा मांहि महावीर बतायो-"महिंसा निउणा दिट्ठा सब भूएसु संजमो" इण रो मतलब यो है कि प्राणी मातर रे प्रति संजम, समता 'र दोस्ती ही हिसा हैं । अहिंसा कोई लारला कुंटुम्ब, परिवार, समाज 'र देश तक ही सीमित नहीं है, उण री सीमा विशाल है। इणीज भांति महावीर सवंजीव री दोस्ती रा भाव ने ही हिंसा मान है। . कई लोग हिंसा नै कायरता समझे। पण माहिंसा कायरता नी म्है। कायरता र अहिंसा मांहि रात दिन रो भेद है। महावीर री अहिंसा कायरां री अहिंसा नहीं है। वा तो वीरां री पहिंसा है। क्षिमा अस्यां रो अस्त्र तो वीरां ने ही
श्रीप्रेमचन्द रावका एम. थि.रवी मनोहरपुर (जयपुर)
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