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पाणंदी-म्हारो तो एकई सुपनो के कदे कपूरी म्हारं मांडरी, सुबै रो टेम. लुगायां पां पड़ोस में सुपना
कनै कनै कबूतरावें पर कदे म थारे गावा रो तेड़ो दे. राणी तिसला रा सुपनां री नेड़े नड़े नुगराऊ (हंसे) मात तिसला ने घर-घर में गूज. तो केई सुपना, एकऊ एक बड़ चड़ ने, एक हवेली में कंकू केसर रा पगल्या मंडाया. बधावा ले लेर ने पाया.
तिसला रा सुपना जाणे सेंग घरां रा सुपना, व पूरी दाई आया ? कूकर आया ? केवो तो गोरियाँ हरखं उमाव जाणे वणां ने खुद ने सुपना - म्हागो बी किल्याण हो जावे.
माया. कांई टाबरटुबर भर दूजा रणीधरणी सब प्राणदी-किल्याण तो उरण पिंडत म्हाराज को फूल्या नीं माने. लुगायां रो झूमको सुपनो उगेर्यो.
होग्यो ज्यां वीयां सुपना रा प्ररथ बताया, सुपना जो पाया राणी लिसला ने भाया कांई व पूरी .... कांई किल्याण हुयो ?
राजा हरख बधाविया जी कोई सुपना जो प्राया. आगादी-सुयी के राजा प्रापरी मोत्यां री मदड़ी चांद सूरज धजा लिछमी जो देख्या
अर राणी प्रापणे गला रो नोसर हार कांई रणजण घंटा बाजे जी कोई सुपना जो प्राया पिडत ने दे दीधो.
सुपना जो पाया राणी तिसला. कपूरी-पिंहत रो भाग जागियोः सपना जद सागे- पदम सरोवर सिंघ बैल जो देख्या साग फलेगा तो पिंडत रा घर प्रांगणांई
कांई ऐरापत राखे जी कोई सुपना जो पाया, मोत्यां सू भरजाई.
सुपना जो माया राणी तिसला.... .... प्रागांदी-पिंडत घणो जबरी सुण्यो. फल भी बताय धनभाग राणा ने बड़
धनभाग राणी ने बड़ भाग राजा दीनो के नम्मे मीने राणी जी कोई काई राज तुमारो गाजे जो कोई सुपना जो पाया. म्हापरूस ने जलम देवेगा, प्राखा सेंसार सुपना जो प्राया राणी तिसला............ में पापणो नाम अम्मर करेगा. वो बड़ो
हवेली रे बारणाऊ एक चमारी जावे जा तपवालो तेजस्वी, ग्यानी अर वीर महावीर लुगायां री प्रणी मीठी बोली ने सुण ऊबी रे जावे, हवेगा, चारूमेर जठे जावो वठे याई बात सुपना रो गीत पूरो वे जावे जदी वा वठं प्रापरे लोग लाडू बांटरिया पर हरख मनायरिया
___घर जावे पर मन में सुपना री राग पर बोल
मस्या बेठग्या के वा गायकी छुटे नी. घरे पोंच के.पूरी-~लो चालो यो रंग फेर देखवा में नी आवेगो आपणा घर वाला ने उठावे पर सुपना की बात पाणंदी-चालो चालो ल्याई टीक रेसी.
बतावे. (कपूरी अर आणंदी दोई अपणा बाजा बजावता चमारी-प्राखी दुनियां जाग गी पण माने अंधारोई धका जाव)
दिखे. प्रवे तो उठो करमेतां (उठावती यकी) दिखावो दजो.
घरवाला-(प्रांख्या मसलतो) क्यू माथो खावे है. - कुडपुर रो हर गली मोहल्लो छगन मगन.
दुनियां तो पाखी बोपी वे जावे तो हा घरां में चितेरा दीवालां पर ऐरापत, चांद,
वे जावे म्हाऊ लारे मरणी को आवेनी. सूरज, लिछमी, धा, कलशकूडा, रणजण घंटा, चमारी-पाखी उमरई सूती काड़ो भला भाग पर पदम सरवर, विवाण, सिंध, बलद जस्या चितगम थाने ठा है के नी राणी तिसला जी ने मांडीर्या, मोटा घरों में ववु लाड्यां आपणां घर- घणा माछा सुपना पाया. हवेल्यां में भारणा लीपरी पर छोर्यो दणां पर नान्हा नान्हा डावड्यां कई रूफलः सुपना गाई री ही. बाँद सूरज, चिढ़कल्यां भर पगल्या । मांडणा वे न वे म्हंई म्हारे प्रांगणे सुपना गवाऊ,
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