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वाली आमा भगवान महावीर
राजस्थानी भाषा
भगवान महावीर -श्री भंवरलाल नाहटा
थर थर धूज्यो इन्द्रासण जद,
शकेन्द्र चित्त शंका लाई । उपयोग ज्ञान रो दे जाण्यौ,
प्रभु वीर जनम वेला आई ॥१॥
तीन लोक रा नाथ पधारमा,
सिद्धारथ राजा रै घर । . . घण्ट , वजायो कोड धरण,
आवो सिगला मिल मेरु शिखर ।।२।।
दाई रो काम करयो सिगलो,
छप्पन दिस कंवरया मिल साथै । . चौंसठ इन्द्रां अभिषेक कर्यो,
पाण्डुक वन सिल डुगर माथै ।।३।।
मोक्षार्थी जन मन हरख घणो,
___संजम लेवा नै ऊमाह्या । खत्री कुण्ड में बंटे वधाई,
पयनमी हुवा राणा-राया ॥४॥ पाखण्ड घणो फैल्योडौ हो,
आत्मा नै भूल्या बैठा हा ।। जज्ञां में हिंसा घणी घणी,
नर पाप करण नै सैंठा हा ॥५॥
ढांढां ज्यू बिकती ही दास्यां,
हौ छूया छूत रौ भूत घणौ । दम घुटतौ नारी जाती रौ,
पर त्रास पवितौं जणी जणौ ॥६॥
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