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भगवान महावीर की पावन
जन्मभूमि कुण्डपुर ----डॉ० शोभनाथ पाठक
मेघनगर जि. झाबुआ (म.प्र.)
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य अंग व मगध में माना जाता था, किन्तु अब इसे की वरीयता के सम्दल से समाज को संवारने वाले वैशाली के पास 'वासु कुण्ड' नाम से जाना जाता चौबीसवे तीर्थकर भगवान महावीर की महत्ता को है जो वर्तमान मुजफ्फरपुर जिले में हाजीपुर के पास प्रांकना आसान नहीं हैं। उनका 'अहिंसा' महामंत्र है। यहां प्राकृत शोध संस्थान भी है। ही विश्व के लिए वरदान स्वरूप है। हम इस वर्ष उनका 2500 वां नि. महोत्सव लोक मंगल की अच्छा तो आइये कुण्डपुर के प्रतीत को हम कामना से मना रहे हैं।
विविध कसौटियों पर कसकर परखें जिसके प्रतल यहां उनके जन्म स्थान 'कुण्डपुर की गरिमा
को थहाने का मनीषियों ने श्लाघनीय प्रयास पर संक्षिप्त प्रकाश डाला जा रहा है । इस
किया है। मुनि कल्याणविजय ने 'कुण्डपुर' को
वैशाली का उपनगर माना है, जबकि आचार्य कुण्डपुर को कुण्डलपुर, कुण्डग्राम, कुण्डग्गाम,
विजयेन्द्रसूरि ने स्वतन्त्रनगर। प्राचार्य विजयेन्द्र कुण्डलीपुर, कुण्डला आदि नामों से सम्बोधित
सूरि ने 'तीर्थ कर महावीर' ग्रन्थ में इस तथ्य पर किया गया है। यही कुण्डपुर भ्रांति के भंवर में ।
विशेष प्रकाश डाला है। दीर्घावधि तक घूमता रहा अर्थात् “लिछुपाड़" जो ।
1. (क) उन्मीलितावधिदशा सहसा विदित्वा
तज्जन्मभवित्तमरतः प्रणतोत्तमाङ्ग:। घंटा निनाद समवेतनिकायमुख्या दिष्टय ययुस्तदिति कुण्डपुरं सुरेन्द्रा ॥
-(असग, वर्धमान चरित 1761) (ख) अथ देशोऽस्ति विस्तारी जम्बूद्वीपस्य भारते ।
___ स्वस्वांम कुण्डनाभाति नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ॥ (हरिवंशपुराण 112115) 2. तीर्थकर वर्द्धमान-विद्यानन्द मुनि पृ. 25 3. जैन धर्म का मौलिक इतिहास, आ. हस्तीमल पृ. 351 4. तीर्थकर महावीर भाग 2 पृ. 81-82.
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