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________________ परिचिति बुद्धघोसुप्पत्ति 'बुद्धघोसुप्पत्ति' आचार्य बुद्धघोष की जीवनी के रूप में लिखी गई ऐतिहासिक रचना है। इसमें आचार्य बुद्धघोष का जन्म, बाल्यावस्था, प्रारम्भिक शिक्षा, धर्मपरिवर्तन, लंकागमन, ग्रन्थरचना, जम्बुद्वीप में प्रत्यागमन आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। प्रस्तुत कार्य का उद्देश्य जेम्स ग्रे द्वारा रोमन लिपि में सम्पादित 'बुद्धघोसुप्पत्ति' को देवनागरी लिपि में सम्पादन एवं प्रकाशन कर हिन्दी भाषी सामान्य जन को उपलब्ध कराना है। प्रो. जेम्स ग्रे. ने इसका सम्पादन १८९२ ई. में रोमन लिपि में किया था। इसका प्रकाशन लन्दन से हुआ था। इस ग्रन्थ का सम्पादन एवं प्रकाशन देवनागरी लिपि में आज तक अनुपलब्ध है, इसलिए इसका सम्पादन एवं प्रकाशन प्रथम बार देवनागरी लिपि में किया जा रहा है। इस ग्रन्थ की रचना सिंहली भिक्षु महामंगल नामक एक स्थविर ने की थी। इस ग्रन्थ के अन्त में कहा गया है कि - ' इति एत्तावता महामङ्गलनामेन एकेन थेरेन पुब्बाचरियानं सन्तिकं यथापरियत्ति पञ्ञाय रचितस्स जवनहासतिक्खनिब्बेधिकपञ्ञसम्पन्नस्य बुद्धघोसस्सेव नाम महाथेरस्स निदानस्स अट्ठमपरिच्छेदवण्णना समत्ता' । उपर्युक्त उद्धरण से दो बातों पर प्रकाश पड़ता है। प्रथम यह कि महामंगल नामक स्थाविर ने इस ग्रन्थ की रचना की थी । द्वितीय यह कि प्रस्तुत रचना महास्थविर आचार्य-बुद्धघोष के जीवनवृत्त के रूप में की गई है। यह रचना प्रारम्भ में हस्तलिखित ताड़पत्र पर प्राप्त हुई थी, जिसे प्रो. जेम्स ग्रे ने स्व. उ आसरा बिहार पाजूडांग से प्राप्त किया था । पुनः उन्होंने स्वे डागोन बिहार पुस्तकालाय की एक कापी से मिलाया था, जिसे बर्नाड फ्री पुस्तकालय से प्राप्त - एक हस्तलिखित प्रति से भी मिलाया था । तदनन्तर उन्होंने रोमन लिपि में इसे सम्पादित किया और इसका अंग्रेजी अनुवाद भी किया। इसी को आधार मानकर इसे देवनागरी लिपि में प्रस्तुत करने का यत्न है। इसे हिन्दी अनुवाद के साथ बाद में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया जायगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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