________________
१४४
श्रमणविद्या-३
___संक्षिप्त में कहा जाय तो द्वितीय बुद्ध महागुरु पद्मसंभव, महापण्डितों और धर्म राजाओं के आशीर्वाद के फलस्वरूप आज इस युग में भी जहाँ एक ओर मोह, द्वेष, ईर्ष्या से भरा हुआ संसार है तो दूसरी ओर देश विदेश सारे . विश्व में बौद्ध धर्म फलता-फूलता विश्व शान्ति के लिये दया, करुणा और भाईचारे जैसे सन्देशों पर भी चिन्तन करता देखा जा सकता हैं।
__ इसलिये अन्तत: महागुरू आचार्य पद्मसंभव और उन महात्माओं को सच्चे हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।
।। भवतु सर्वमङ्गलम् ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org