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संस्कृतवर्ष-समारोहों की फलश्रुतियाँ
___ भारत सरकार ने युगाब्द ५१०१ को 'संस्कृत-वर्ष' के रूप में घोषित कर पूरे वर्ष संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए विविध कार्य-क्रम आयोजित करने की एक योजना बनायी। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय को विविध कार्य-क्रम आयोजित करने के लिए स्वीकृति प्रदान की। कर्मठ एवं उत्साही कुलपति माननीय प्रो. राममूर्ति शर्मा ने पूर्ण उत्साह के साथ वि.सं. २०५६, १९९९-२००० ई. में संस्कृतवर्ष मनाने के लिए शुभारम्भ करने की घोषणा की।
७ सितम्बर, १९९९ ई. को शताब्दी-भवन में 'संस्कृतवर्ष-शुभारम्भसमारोह' बड़े धूम-धाम से मनाया गया। इस समारोह की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा ने की। माननीय प्रो. रामकरण शर्मा ने मुख्य अतिथि एवं प्रो. सुधांशुशेखर शास्त्री ने विशिष्ट अतिथि के आसन को सुशोभित किया। पण्डित श्री शिवजी उपाध्याय के नवरचित गीत 'जयति सुवर्षं संस्कृतवर्षम्' के गान से सम्पूर्ण सभा भाव-विभार हो गयी। माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को परम्परा के अनुसार नारिकेल, चन्दन एवं माल्यार्पण के साथ उत्तरीय प्रदान कर अभिनन्दन करते हुए कहा कि इस संस्कृत-वर्ष में ख्यातिप्राप्त दो सौ संस्कृत के विशिष्ट विद्वानों को सम्मानित किया जायेगा। सभा का सञ्चालन पण्डित श्री शिवजी उपाध्याय ने किया।
[क ] त्रिदिवसीय संस्कृत-पत्रकारिता-सङ्गोष्ठी एवं
'सारस्वती सुषमा' स्वर्णजयन्ती-समारोह युगाब्द ५१०१ (वि.सं.२०५६, १९९९-२००० ई.) को संस्कृत-वर्ष के रूप में मनाने के लिए २१ सितम्बर से २३ सितम्बर, १९९९ तक 'त्रिदिवसीय संस्कृत-पत्रकारिता-सङ्गोष्ठी एवं 'सारस्वती सुषमा' स्वर्णजयन्ती-समारोह का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन समारोह पूर्व-काशीनरेश माननीय
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