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________________ कसायपाहुडसुत्तस्स गाहानुक्कमो 202 176 15 51 153 225 48 93 103 112 48 [अ] अट्ट च वस्साणि हिदी अट्ठ दुग तिग चदुक्के अट्ठारसयं णवयं अट्ठारस चोदसयं अट्ठावीस चउवीस अण मिच्छ मिस्स सम्म अणाहारएसु पंच य अण्णाणम्हि य तिविहे अणुपुवमणणुपुत्वं अणुसमयमुदीरेंतो अत्तुक्करिसो परिभव अथ थीणगिद्धिकम्म अध ओहिसणे पुग अधणंतरेण खइया अध णिरय तिरियणामा अध थीणगिद्धिकम्म अध वंजणोग्गहम्मि दु अध सुदमदि आवरणे अध सुदमदिउवजोगे अधिका समा व हीणा अधिगो समो व हीणो अभिजोग्गमणभिजोग्गो अवगयवेदणqसय अवलेहणी समाणा अविरहिदसांतरं असण्णी खलु बंध असादं णीचगोदं महिया च पदेसग्गे आवलिगाखेज्जदि आवलिय अणायारे 37 आवलियं से काले 45 आवलियं च पविटुं आहारय-भविएसु अंतरं वा कहिं किच्चा 234 अंतोमुहुत्तमद्धं अंतोमहत्तमद्धं 47 [] 39 उक्कडुदि जे असे 61 उक्कडुदि बंधसमं 87 उक्कड्डदि बंधसम 128 उक्कड्डिदे व पुव्वं 190 उकास्सय अणुभागे 245 उक्कस्समणुक्कस्सं 235 उक्कस्स हेट्ठिमा उगुवीसट्ठारसयं उदओ च अणंतगुणो उदयादि पदेसग्गं 189 उदयादि पदेसग्गं 169 उदयादि या ट्ठिदीयो 142 उदयादिसु टिदीसु य उदयो च अणंतगुणो 45 उवजुत्ता का च गदो उवजोगवग्गणाओ 57 उवजोगवग्गणाहि उवसामगो च सम्वो 132 उवसामणा कदि विधा 150 उवसामणाखयेण दु 235 109 222 158 159 222 185 22 228 50 145 179 225 179 180 242 66 211 96 65 85 69 97 116 122 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014029
Book TitleShramanvidya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1988
Total Pages262
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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