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कसायपाहुडसुत्तं
214) क्या क्षपक कृष्टियों को वेदन करता हुआ क्षय करता है अथवा संक्रमण
करता हुआ क्षय करता है अथवा वेदन और संक्रमण करता हुआ क्षय करता
है ? क्या आनुपूर्वी से या अनानुपूर्वी से कृष्टियों को क्षय करता है ? 215) क्रोध को प्रथम, द्वितीय तथा तीसरी कृष्टि को वेदन करता हुआ तथा संक्रमण ___करता हुआ क्षय करता है। चरम (सूक्ष्म सांपरायिक कृष्टि) को वेदन करता
हुआ ही क्षय करता है । शेष को उभय प्रकार से क्षय करता है । 216) कृष्टिवेदक क्षपक जिस कृष्टि का वेदन करता हुआ क्षय करता है, क्या वह
उसका बंधक भी होता है ? जिस कृष्टि का संक्रमण करता हुआ क्षय करता
है, क्या वह उसका बंध भी करता है ? 217) कृष्टिवेदक क्षपक जिस कृष्टि का संक्रमण करता हुआ क्षय करता है, उसका
वह बन्ध नहीं करता है। सूक्ष्मसापरायिक कृष्टि के वेदन काल में वह उसका अबंधक रहता है, किन्तु इतर कृष्टियों के वेदन या क्षपण काल में वह उनका
बंधक रहता है। 218) जिस जिस कृष्टि को क्षय करता है, उस उस कृष्टि की स्थिति और अनु
भागों में किस किस प्रकार से उदीरणा करता है। विवक्षित कृष्टि का अन्य कृष्टि में संक्रमण करता हुआ किस किस प्रकार से स्थिति और अनुभागों से युक्त कृष्टि में संक्रमण करता है ? विवक्षित समय में जिन स्थिति अनुभाग युक्त कृष्टियों में उदीरणा, संक्रमणादि किए हैं, क्या अनन्तर समय में उन्हीं
कृष्टियों में उदीरणा, संक्रमणादि करता है या अन्य कृष्टियों में करता है ? 219) विवक्षित कृष्टि का बंब अथवा संक्रमण नियम से क्या सभी स्थितिविशेषों में
होता है ? विवक्षित कृष्टि का जिस कृष्टि में संक्रमण किया जाता हैं, उसके सर्व अनुभागों में संक्रमण होता है, किन्तु उदय मध्यम कृष्टि में जानना
चाहिए। 220) क्या क्षपक सर्व स्थिति विशेषों के द्वारा संक्रमण तथा उदीरणा करता है ?
कृष्टि के अनुभागों को वेदन करता हुआ वह नियम से मध्यवर्ती अनुभागों
का वेदन करता है। 221) जिन कर्माशों का अपकर्षण करता है क्या अनन्तर काल में उनको उदीरणा
में प्रवेश करता है ? पूर्व में अपकर्षण किये गए कर्माशों को अनन्तर समय में उदीरणा करता हुआ क्या सदृश को अथवा असदृश को प्रविष्ट करता है ?
संकाय-पत्रिका-२
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