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________________ जैन परम्परा में श्रमण और उसकी आचार संहिता २७९ चिन्तन करना कि अर्हत परमेष्ठी जगत् को प्रकाशित करने वाले, उत्तम क्षमादि धर्मतीर्थ के कर्ता होने से धर्म, तीर्थंकर, जिनवर, कीर्तनीय और केवली जैसे विशेषणों से विशिष्ट, उत्तम बोधि देने वाले हैं ।" ३. वंदना वंदना - आवश्यक मन, वचन और काय की वह प्रशस्त वृत्ति है जिससे साधक तीर्थंकर तथा शिक्षा-दीक्षा - गुरू एवं तप संयम आदि में ज्येष्ठ आचार्यों एवं मुनियों के प्रति श्रद्धा तथा बहुमान प्रगट करता है । मूलाचार में कहा है अरहंत, सिद्ध की प्रतिमा, तप, श्रुत एवं गुगों में ज्येष्ठ शिक्षा तथा दीक्षा गुरुओं को मन-वचन एवं काय की शुद्धि से कृतिकर्म, सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति एवं गुरुभक्तिपूर्वक कायोत्सर्ग आदि से विनय करना वन्दना आवश्यक है । इस तरह चारित्रादि अनुष्ठान, ध्यान, अध्ययन में तत्पर क्षमादि गुण तथा पञ्च महाव्रतधारो, असंयम से ग्लानि करने वाले, धैर्यवान् श्रमण वंदना के योग्य होते हैं । 3 आवश्यक नियुक्ति में अवन्द्य की वन्दना का निषेध करते हुए कहा है कि अवन्द्य को वन्दन करने से न तो कर्म की निर्जरा होती है और न कीर्ति हो बल्कि असंयम आदि दोषों के समर्थन द्वारा कर्मबन्ध ही होता है । नहीं गुणी पुरुषों द्वारा अवन्दनीय यदि अपनी वन्दना कराता है तो वन्दन कराने रूप असंयम की वृद्धि द्वारा अवन्दनीय की आत्मा का अधःपतन होता है । * इतना ही वन्दना के अन्य नाम - कृतिकर्म, चितिकर्म, पूजाकर्म और विनयकर्म, ये वन्दना के ही नामान्तर हैं ।" पापनाश के उपाय को उपाध्याय आदि की वन्दना करते कृतिकर्म कहते हैं । जिनदेव, सिद्ध, आचार्य समय जो क्रिया की जाती है, वह कृतिकर्म है । " १. मूलाचार ७७६, ४२. २. अरहंत सिद्धप डिमातवसुदगुणगुरुगुरूण रादीणं । किदियम्मेणिदरेण य तियरण संकोचणंपणमो ।। वही १।२५. ३. वही ७।९८. ४. आवश्यक निर्युक्ति गाथा ११०८, १११०. ५. मूलाचार ७७९, आवश्यक निर्युक्ति १११६. ६. कृतिकर्म पापविनाशनोपायः - मूलाचार वृत्ति ७।७९. ७. कसायपाहुड १।१. पृ० ११८. Jain Education International For Private & Personal Use Only काय पत्रिका-१ www.jainelibrary.org
SR No.014028
Book TitleShramanvidya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size14 MB
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