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पाइय- सह - महण्णवो में अनुपलब्ध वसुदेवहिण्डी की शब्दावली
*नखरण (१०७.३)= देखो णहरण*
नाड (८६.१३) चमड़े की पट्टी, जोत, (गुज. नाड, नाडु, हिन्दी, नाडा ) * नासावंस ( ६५.२० ) नासावंश = नासाग्र
निक्कअ (१५४.१७) निष्क्रय = मुक्ति मूल्य, स्वतन्त्र करने की कीमत
निलिंति (१३७.१२) नीळयन्ते (मोत्रिसंडि.) = एक जगह आ लगते हैं, आश्रय लेते हैं । नीइ ( ११६.२७) निर्याति बाहर निकलता है ( पासम. णिज्जाइ; णो = गम् ) नेय (१७.१९) नेत्र = नहीं ही
पइकिति (१२६.१९) प्रतिकृति = प्रतिबिम्ब, मूर्ति, (पासम. पइकिदि, पइगिर, पडिकिदि ) ०पकअ (११७.२३) प्रकृत = प्रस्तुत किया हुआ (पासम पकड ) पच्चअ (१५४.१३) प्रत्यय = समाचार, विश्वासपूर्ण जानकारी पजाइय ( १९३.८) पर्यायित= मारा हुआ, समाप्त, पर्यायप्राप्त पज्जोसिअ ( १०८.२) प्रज्योति कल संबंधो, संध्या संबंधी पगारिया (१८०.१३) परिकारिका = सेविका ( मोविपंडि परिकर्मन् = सेवक ) डिभि ( १३९.१०) प्रतिभिन्न= निंदित
पडीया ( ८४.१५ ) प्रत्यनीकता = शत्रुता, विपरीतता
प्रडियग्ग (१५४.१७ ) प्रतिजागृ= सार संभाल लेना, किसी के लिए जागृत रहना
पडिसिरा (१४८.३) (१) = परदा
पडुजाइ (१३२.८) पटु-जाति = ब्राह्मण, ( कुशल जाति)
पणिवय (१३०.८) प्रणिपत् = गिरना, फैल जाना, बिखरना पदेसिणी (१८४.१२) प्रदेशिनी = तर्जनी अंगुली
पयय ( १७१.२१) प्रयत् = प्रयत्न करना
पयारअ ( १९३.१०) प्रचारक = संचरण करने वाला, फिरने वाला परभाहतो (१०६ १०) परब्भव + आहत = पराभवप्राप्त
परहु ( ७९.२२) परभृत = कोयल
परिच्छअ (११६.२३) परिच्छद = परिजन, व्यक्तिगत साधन
परियावत्त (१७८.१७) पर्यावृत्त = समाप्त, विनष्ट, विलीन
०रिलीढ (१२१.१४) परिस्पृष्ट= चारों ओर से स्पृष्ट, आलिंगित
• परिविअ ( ७.१८) परिवीत = घिरा हुआ
पवार ( १३१.२० ) प्रयाह = बोलना
पसिज्ज (१४८.१२) प्रस्विद् = सेना होना, पसीने भीग जाना ( मोविसंडि.)
परसवण ( १३४.९) प्रसवण = झरना, फुवारा
• पाउवगमण (१७०.३० ) प्रायोपगमन = अनशन - विशेष से मरण
पागडिय ( १५७.५ ) प्राकृतिक
पाणीयं (८५.२३) पानीयम् = जलाशय
पीणग (१९२.१७) प्रीणक प्रसन्नदायी
• पुरट्ठा (१३१.१२) पुरस्या = आगे या नजदीक स्थित होना
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