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विश्व शान्ति के प्रेरक भगवान महावीर
0 श्रीमती चन्द्रकान्ता छाबड़ा तीर्थंकर की श्रमण परम्परा में तीर्थंकर महावीर चौबीसवें तीर्थंकर हैं। वैशाली गणराज्य में जन्मे महावीर ने जनमानस में अहिंसा, अपरिग्रह, और अनेकान्त के सामाजिक मूल्यों की स्थापना कर प्राणी मात्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। विश्व के सामने महावीर ने समता की भूमि पर आरूढ़ होकर पारिवारिक, राजनैतिक तथा साम्प्रदायिक विघटन की मान्यताओं से परे रहने का आह्वान किया तथा अपने उपदेशों में अनेकान्त के मार्ग पर चल कर ही इस विघटन और वैमनस्यों से बचने का मार्ग बताया।
___ महावीर भगवान के सिद्धान्त किसी पंथ या देश तक ही सीमित नहीं है, समग्र मानव जाति के लिए उपयोगी हैं। विश्व के देशों में हथियारों की होड़ (मानव विनाशकारी अस्त्र) व आर्थिक प्रतिद्वंदता के कारण, जो कटुता (मारो हड़पो) की होड़ मची है, वो सब महावीर के अहिंसा के सिद्धांत के प्रचार-प्रसार से ही कम या हल हो सकती है। भगवान महावीर ने अपने दिव्यज्ञान के आलोक से जिन महान सिद्धांतों का प्रचार किया उनमें सर्वजीव समभाव और सर्व जाति समभाव सबसे मुख्य है और यही तीनों सिद्धांत रामबाण-औषधि है, जो विश्व की समस्याओं को आसानी से हल करके मानव जाति को सुख चैन अमन का मार्ग प्रशस्त कर सकते है। महात्मा गांधी ने भगवान महावीर के अहिंसा के सिद्धान्त के माध्यम से ही भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया। भगवान महावीर ने विश्व को यह संदेश दिया कि प्रत्येक आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान हैं। धर्म रहित मनुष्य पशु से भी गया-बीता है। महावीर के समोशरण में गाय व सिंह एक साथ बैठकर उनके उपदेश सुनते थे। यह उनकी अहिंसा का ही प्रभाव है। भगवान महावीर ने विश्व के सामने स्याद्वाद व अनेकान्त के द्वारा आपसी विरोधाभास तथा विभिन्न सम्प्रदायों के दृष्टिकोणों को समझना तथा उचित सम्मान देना सिखाया। स्याद्वाद वैयक्तिक व सामूहिक वैमनस्य तथा शत्रुता दूर करके एक-दूसरे के प्रति साम्यभाव स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रकार भगवान महावीर ने सामाजिक विषमता, ऊंच-नीच, असहिष्णुता इत्यादि का संदेश देकर मानव को विश्व बंधुत्व का संदेश दिया।
आज चारों ओर विश्व शान्ति के नारे तो लगाए जाते हैं, किन्तु विश्व शान्ति इन्सान से कोसों दूर है। अगर हमें हिंसादि पापों से विश्व जनमत को बचाना है तो हमें महावीर भगवान के पांच सूत्र १. अहिंसा २. सत्य ३. आचौर्य ४. ब्रह्मचर्य ५. अपरिग्रह आदि के माध्यम से विश्व को बताना होगा।
___ आज का मानव महावीर, बुद्ध, राम, कृष्ण, ईसा, अल्लाह आदि को तो मानने तैयार है, किन्तु उनकी बात (सिद्धान्त) मानने को तैयार नहीं है। ये महापुरुष हमारे लिए दर्पण की भांति हैं। आज विश्व में अज्ञान का अन्धकार छाया हुआ है, उसे दूर करने के लिए भगवान महावीर के सिद्धान्त उनकी देशना को अपनाना होगा। हमें महावीर बनने के लिए भोग में नहीं योग में जीना होगा। विश्व का नक्शा बदलने के पहले स्वयं का नक्शा बदलना होगा। यह कटु सत्य है कि इन्सान ही भगवान बनता है। भगवान कहीं आसमान से उतरकर नहीं आते हैं। अत: भगवान महावीर का तो प्राणीमात्र को यही आह्वान है कि निरीह पशुओं का कत्ल, दौलत के लिए खूनी जंग, सातों व्यसनों का और पांचों पापों का हमारी मानसिकता पर जड़त्व होना आदि कई बुराईयों को अहिंसा, सत्य, अचोर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह के आचरण से दूर कर वसुधैव कुटुम्बकम् को चरितार्थ करें।
0 ३५/८८, मानसरोवर जयपुर
महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-1/37
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