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मालोचना के बीच रहा बालक निन्दक बन जायेगा। दोष कहेगा पर के, खुद के अब सदा ढक जाएगा। विरोध शत्रु ता बीच रहा तो, केवल लड़ना सीखेगा। उपहास मजाकों बीच रहा तो, केवल डरना सीखेगा ॥
बातावरण उसे दो अच्छा, अच्छी बात सिखायो रे ॥बालक है।।
बालक यदि रहता है लज्जा शेम या अपमान बीच । खुद को दोषी करेगा अनुभव, बन जायेगा अाखिर नीच ॥ सहनशीलता क्षमा बीच, यदि बालक रहता आया है।
धैर्यवान बन ऐसा बालक, महावीर बन पाया है ।।
___ काम सराहो सदा और गुणग्राही उसे बनायो रे ॥ बालक है.... || सच्चाई, ईमान बीच, यदि बालक का रहना होगा।
आगे चलकर उस बालक को न्याय प्रिय कहना होगा ॥ विवेक, चेतना, सद्बुद्धि के बीच, यदि बालक रहता। विश्वास पात्म जागेगा उसका, बात नीति की हूँ कहता ॥
मूल्य है क्या आत्मविश्वासी का, समझो-समझायो रे ।। बालक है ।।
बच्चे को अनुमोदन दो, पाएगा खुद को प्यारा वह । अपनाप्रो और देप्रोमित्रता, होगा जग में न्यारा वह ॥ इतना गर कर पायो, फिर वह, प्यार जगत का पाएगा । प्रताप, शिवा और लाल जवाहर बनकर नाम कमाएगा । बच्चा बने महान बताया 'राज' इसे अपनायो रे।
बालक है भगवान उसे तुम मत शैतान बनायो रे ।।
* राजमल जैन
'बेगस्या', जयपुर
2-132
महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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