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कलमगीर का नमन
* श्री तारादत्त निविरोध, जयपुर
सर्वोदय के, स्याद्वाद के | महा प्रवर्तक, , अपरिग्रह वृत्ति के उन्मेषक सिद्ध र्थपुत्र त्रिशला की ममता के धन । बचपन के 'वर्धमान' 1 औ' ज्ञान कोष के 'सन्मति' सत्य अहिंसा मानवता के हे क्रांतिदर्शी
निर्भीक साहसी सकल मुक्ति के अमर समर्थक श्रद्धा और जगत निष्ठा के केन्द्र सुचिर हे, महावीर अन्तिम तीर्थङ्कर तुम्हें नमन है, कलमगीर की श्रद्धा का यह अर्पित तुम को भाव सुमन है !
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होगा नया सुधार अगर चाहता जो समाज का, सचमुच में उत्थान हो। धर्म संस्कृति मानवता का और अधिक निर्माण हो ।। तो उसको है 'सरस' लाजमी ऐसा नूतन मोड़ ले । जो दहेज लेता हो उससे हाथ मिलाना छोड़ दे ।। ऐसा विवश करें वह खुद ही हो जाए लाचार । तभी देश के जन जीवन में होगा नया सुधार ।
-श्री सरस
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महावीर जयन्ती स्मारिका 77
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