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बात १९
में मिट्टी का संकट पा जाता है। प्राज लोगों में महावीर स्वामी में देखने को मिलते हैं । महावीर संग्रह की प्रवृति बढ़ती जा रही है। जिससे एक स्वामी ने यज्ञों मादि धार्मिक कुरुतियों जिनमें जीव पोर तो प्रावश्यकता से अधिक होता जा रहा है हत्या आदि को समाप्त इसलिए नहीं करवाया कि दूसरी ओर लोगों का नसीब नहीं हो रहा है। वे वैदिक परम्पराये थी बल्कि पशुधन वन सम्पदा,
भगवान महावीर ने कहा कि अपनी आवश्य- उस समय की प्राधार थी। भगवान महावीर ने कताओं को सीमित रखो। जितनी आवश्यकता हो यह कहा कि वे किस धर्म के बारे में कह रहे है। उतना ही संचय करो। हम प्राज इस उपदेश को भगवान महावीर ने "जीप्रो और जीने दो' कहा माने तो जो ब्लैक हो रहा वह समाप्त हो जाएगे। अर्थात् स्वयं भी जिनो किसी दूसरो को कष्ट पहुचा एवं प्रत्येक ग्रादमी को अपनी प्रावश्यकता अनुसार कर या हिंसा करके नहीं अपितु साथ-साथ स्वयं वस्तुए उपलब्ध हो सकेगी।
भी जीमो व दूसरे को भी जीने दो। भगवान ___महावीर का द्वितीय उपदेश अपरिग्रह था जो महावीर ने कहा कि स्याद्वाद अर्थात जितनी अपनी काफी जनहितकारी है।
बात कहने का अधिकार है उतना ही किसी दूसरे __ सत्य : हमें सदा सत्य बोलना चाहिए। झूठ को बात सुनने का भी । महावीर भगवान ने कहानहीं बोलना चाहिए। आज महावीर भगवान के कि हम जो कार्य सोचे उसे पूर्व भी करने के प्रयत्न उपदेश को माने तो बेइन्साफी समाप्त हो सकती करना चाहिए। महावीर स्वामी ने स्त्री-पुरुष के है । झूठ बोलने से जो आदमी में पारस्परिक इर्ष्या भद मिटाने के लिए उन्होंने स्त्रियों को दीक्षा दी। होती है वह सत्य बोलने से नहीं होती है। महावीर स्वामी ने अमीर-गरीब, जात पात, स्त्री___ ब्रह्मचर्य और अचौर्य के उपदेशों में महावीर पुरुष आदि के भेद मिटाने के लिए काफी प्रयत्न भगवान ने यह बताया कि हमें संयम से रहना किये । महावीर स्वामी ने अपने विशाल वैभव को चाहिए । किसी दूसरे को देखकर ईर्षा नहीं करनी 30 वर्ष की आयु में छोड़कर (त्यागकर) दीक्षा चाहिए । सारे समाज के मंगल की कामना करनी ली इसका यह प्रसंग है कि प्राप्त करने से अधिक चाहिए । भगवान महावीर ने व्यक्ति के समाज से ग्रानन्द प्राता है। प्राज अगर हम प्राप्त करने के दायित्व क्या है उसे बताया वह उसे हमें निभाना
स्थान पर त्याग दें तो सारा संघर्ष समाप्त हो चाहिए।
जायेगा। भगवान महावीर ने संसार में होने वाले सब दुखों को प्राज से 2 हजार पूर्व दूर किया लेकिन उनके उपदेश प्राज 21 हजार वर्ष बाद हमें जरूरत
प्राज हमारे लिए महावीर के उपदेश काफी है विश्व शान्ति के लिए।
जनहितकारी है। महावीर स्वामी ने जो कुछ कहा ___ भगवान महावीर के जीवन की यही सार्थकता है उसका काफी गहराई तक निष्कर्ष निकलता है। है कि हम उनके जीवन से उनके गुणों को हमारे आज हमारे का शांति के मार्ग पर जाना चाहते हो जीवन में उतारे। महावीर भगवान में प्रथम तो हमें महावीर स्वामी के बताये हुए उपदेशों पर तीर्थकर ऋषभनाथ का योग, नेमीनाथ की करुणा, चलना चाहिए महावीर स्वामी के उपदेश काफी पार्श्वनाथ की सहिष्णुता आदि हमें सब अच्छे गुण उपयोगी व जन हितकारी है।
सेठजी को फिक्र थी, एक से दस कीजिए । मौत आ पहुंची कि हजरत, जान वापिस कीजिए ।
महावीर जयन्ती स्मारिका 11
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