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भारतीय चिन्तन की परम्परा में नवीन सम्भावनाएं
उद्धार किया जा सकता है तो मैं समझता हूं कि भारतीय दर्शन में एक नयी चेतना जागृत होगी और पौर्वात्य और पाश्चात्य चितनधाराओं का एक सुन्दर संगम होगा । [ नये दर्शन की उद्भावना के संदर्भ में योगिरूप ठाकुर जयदेवसिंह से संयोजक श्री राधेश्यामधर द्विवेदी ने बातचीत करके उनके विचारों का आकलन प्रस्तुत किया था ]
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परिसंवाद - ३
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