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भारतीय दर्शनों के नये वर्गीकरण की दिशा
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अल्प हैं इसलिए उनसे उपलब्ध ज्ञान बहुत निर्बल होते हैं । यह भी स्पष्ट है कि अज्ञान का क्षेत्र ज्ञान के क्षेत्र से बहुत बड़ा है, इन्द्रियों की संख्या और शक्ति कम होने से हम अज्ञान का अपेक्षित निराकरण नहीं कर पाते हैं । इसके लिए हमें ज्ञान के स्रोत ht बढ़ाना होगा । आधुनिक विज्ञान ने जीवन के कई क्षेत्रों में हमें ज्ञान के अनेकानेक नये स्रोत दिये हैं, हम विज्ञान की देन की ओर से आँख नहीं मोड़ सकते । अपनी ज्ञानवृद्धि के लिए हमें उसका सहयोग लेना होगा। वैज्ञानिक परिदृष्टि के विरोध में परम्परावादी विद्वान हमेशा यह आशा रखते हैं कि कहीं न कहीं ऐसा क्षेत्र अवश्य मिलेगा, जिसमें वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करना सम्भव न होगा । इस सम्भावना में वे लोग अपने दर्शन की सुरक्षा समझते हैं । वास्तव में ऐसी प्रवृत्ति दार्शनिकता के विरोध में जानी जाती है । विश्व के इतिहास ने यह सिद्ध किया है कि धार्मिक विचारकों के रहते वैज्ञानिक पद्धति को सफलता न मिली होती । यदि उनसे व्यावहारिक लाभ न होता ।
भौतिकी एवं गणित के चमत्कार ही नहीं, प्रत्युत मनोविज्ञान, नृवंशविद्या, भाषाविज्ञान आदि मानवविज्ञानों ने भी जो हमारे सामने नई वैज्ञानिक उपप्रस्तुत की हैं उससे दर्शन शास्त्र को वंचित रखना दार्शनिकों का एक बहुत बड़ा अपराध माना जायेगा ।
ज्ञात है कि तात्त्विक निर्णय के लिए व्याप्ति के नियमों का महत्वपूर्ण स्थान है । व्याप्ति को विश्वसनीय पदार्थविद्या के आधार पर भारतीय दार्शनिक व्याप्ति को निरूपाधिक सोपाधिक होने का निर्णय लेते हैं, किन्तु विज्ञान ने प्राचीन पदार्थविद्या का अधिकांश में खण्डन कर दिया, इस स्थिति में परम्परागत दर्शनों में व्याप्ति का नियम विश्वसनीय नहीं रह गया है । व्याप्ति के विश्वसनीय न होने के कारण खगोल, भूगोल तथा पदार्थविद्या सम्बन्धी कोई भी निर्णय लेना हमारे लिए सन्देह से परे नहीं है । इस स्थिति में इस प्रकार अपने व्याप्ति नियम को विश्वसनीय बनाने की दिशा में वैज्ञानिक उपलब्धियों से महत्त्वपूर्ण सहायता ली जा सकती है ।
भारतीय दर्शनों की प्रगति में वैज्ञानिक उपलब्धियों के सभ्बन्ध में हमारी उपेक्षा वृत्ति किसी तरह ठीक नहीं है । हमें अध्ययन के क्षेत्र में विज्ञानों की नई उपलब्धियाँ स्वीकार करनी होगी। विज्ञान के द्वारा जो ज्ञानवृद्धि हो उसके अनुपात से अधिक मनुष्य में विवेक बुद्धि का विकास हो, यह अत्यन्त अपेक्षित है । विवेक बुद्धि है - जीवन के आदर्श उद्देश्यों की निश्चित अवधारणा । विवेक बुद्धि विज्ञान
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परिसंवाद - ३
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