________________
गांधी जी के प्रयोग : आधुनिक सन्दर्भ में
श्री सुभाषचन्द्र तिवारी
गांधी जी का महान जीवन स्वयं ही एक प्रयोग था और इसीलिये उन्होंने अपनी आत्मकथा का शीर्षक 'मेरे सत्य के प्रयोग के रूप अंकित किया था। जिस प्रकार उनके जीवन की परिणति हुई, और उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के आदर्श के लिये मृत्यु का वरण किया उसने उनके प्रयोगों की सार्थता को मानव इतिहास में अमर कर दिया। प्रस्तुत विषय के प्रतिपादन में दो विन्दु मुख्य हैं । प्रथम जो उनके प्रयोगों से सम्बन्ध रखते हैं और दूसरा वह जो उन प्रयोगों को आधुनिक सन्दर्भों में समझने का प्रयास है ।
सर्वप्रथम गांधी जी के प्रयोगों का सिंहावलोकन करना आवश्यक है । समयाभाव के कारण गांधी जी के अनेकानेक प्रयोगों की समीक्षा यहाँ पर करना सम्भव नहीं है किन्तु उन प्रयोगों में कुछ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रयोग ऐसे हैं, जिनका उल्लेख करना आवश्यक है । सामान्यरूप से गांधी जी के एक राजनैतिक पुरुष माने जाते हैं और हम लोग उन्हें देश की स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख सेनानी समझते हैं । यह दृष्टिकोण गांधी जी के जीवन की विशालता और व्यापकता के प्रति न्याय नहीं करता, क्योंकि गांधीजी का व्यक्तित्व एकदेशीय, एक जातीय, या एक विशेष कालावधि से बंधा हुआ नहीं था । देश की स्वतंत्रता की लड़ाई उस महामानव की मानवीय मूल्यों की स्थापना की कठिन साधना का केवल एक आंकिचन पक्ष था। गांधी जी ने एक बार कहा था “कि यदि सत्य और अहिंसा के सिद्धान्तों का हनन कर देश की स्वतन्त्रता मिले भी तो वह मुझे स्वीकार्य नहीं है ।" अर्थात् गांधीजी के जीवन में समस्त मानवता के कल्याण की भावना सर्वोच्च थी । वे न केवल अपने देश में प्रत्युत समस्त विश्व में सत्य और अहिंसा पर आधारित समाज की रचना का स्वप्न देखते थे उनके इस उदार व्यक्तित्व, समग्रदृष्टि को कम लोग समझ पाते हैं जीवन भर मुसलमानों ने उन पर विश्वास नहीं किया, किन्तु जब वे हिंसा की ज्वाला से समस्त वातावरण में नोवारखाली की पद यात्रा पर निकले
I
और दिल्ली में एक
परिसंवाद - ३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org