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बौद्ध व्यष्टिवाद की आंशिक समष्टिवादी परिणति की सम्भावनाएँ
बौद्ध धर्म-दर्शन मूलतः एक समष्टि-निरपेक्ष धर्म-दर्शन है। सम्यक् सम्बुद्ध की सम्यक्सम्बोधि आर्यसत्य-चतुष्टय में सन्निहित है, उसका शेषांश-क्षणभंगवाद एकविध अथवा द्विविध नैरात्म्यवाद आदि-विस्तार-मात्र है, अनुषंग-मात्र है। इसी प्रकार बौद्ध निर्वाण-दृष्टि बौद्धदर्शन की आधारशिला है, द्रव्य है, जब कि मूलतः तत्प्रयोजक, किन्तु प्रसंगतः समष्टि-साधक बौद्ध अष्टांग मार्ग, महाकरुणा, बुद्धिवाद, आदि को गुण-मात्र, पर्याय-मात्र माना जा सकता है।
तथापि गुण-भाग, पर्याय-भाग, में इतनी क्षमता निश्चय ही विद्यमान है कि उसके आधार पर समष्टि के गठन में पर्याप्त सहायता मिल सकती है, जैसा कि आगे स्पष्ट होगा।
इस सन्दर्भ में अशोक का नाम वरवश स्मरण आता है। बौद्ध धर्म-दर्शन मूलतः समष्टि के गठन में धर्म के समष्टि-व्यवस्थापक रूप पर ही बल दिया, और निर्वाण-धर्म को एकदम भुला दिया। यह एक सारगर्भ तथ्य है कि उसके शिला-लेखों में निब्बान शब्द का उल्लेख तक नहीं होने पाया है, यहाँ तक कि निर्वाण-धर्म की उसके द्वारा की गयी इस उपेक्षा के आधार पर कई लोग उसके बौद्ध होने में ही शंका करने लगते हैं।
वस्तुतः समष्टि के प्रति बौद्ध-मनोवृत्ति सुस्पष्ट है। बौद्ध धर्म-दर्शन मूलतः एक अणुवादी (श्रमणवादी) गणवादी, तथा व्यष्टिवादी दर्शन है, जिसके अनुसार समष्टि तात्त्विक नहीं, अपितु संवृति-मात्र, सामान्यलक्षण-मात्र, नाम-मात्र, अतः भ्रान्ति-मात्र है। इस प्रकार बौद्ध दष्टि में समष्टिदृष्टि का मिथ्यात्व ही निष्पन्न होता है। अतः यह दृष्टि सम्भूयसमुत्थान से सर्वथा वेमेल है। बौद्धसंघ समष्टि-चेतना का नहीं, अपितु सामूहिक एकात्मिकता का परिचायक है।
बुद्ध संसार को दुःखमय मानते हैं-'सर्व दुःखम्' । दुःखता भी तीन प्रकार की---दुःख-दुःखता, सङ्घार-दुःखता, और विपरिणाम-दुःखता। संसार की एवंविध दुःखता, दुःख-रूपता, औपाधिक अथवा नैमित्तिक नहीं है, जो उपाधि अथवा निमित्त को दूर कर देने से दूर हो सके। दुःख-रूपता संसार का स्वरूप-लक्षण है, स्वाभाविक धर्म है। ऐसा नहीं कि संसार सुखरूप बन सकता था, उसे हमने दुःखरूप बना दिया है। संसार का स्वभाव ही दुःखता है। संसारोच्छेद के बिना दुःखोच्छेद असम्भव है।
वल्लभ आदि संसार और जगत् में भेद करते हुए कहते हैं कि जगत् सत्य और ब्रह्मस्वरूप है, किन्तु हमारे अज्ञान ने उसे संसार-रूप दे रखा है, जो मिथ्या है अर्थात्
परिसंवाद-२
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