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Vaishali Institute Research Bulletin No.8.
यदि इनमें से किसी अधिकार को क्षति पहुँचती है तो यह हिंसा है। किन्तु यह सब तो हिंसा का प्रकट रूप है—व्यक्त रूप में हिंसा है। इनके अतिरिक्त, हम प्रकट रूप में हिंसा न करते हुए भी किसी पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालते हैं (जैसे पिस्तौल दिखाकर बैंक लूटना), या स्वार्थसाधन के लिए किसी का शोषण या दोहन करते हैं, तो यह भी हिंसा है।
जैन विचार में अहिंसा का अर्थ इतना व्यापक है कि वह इन सभी आयामों को ध्यान में रखता है। अहिंसा के पालन का अर्थ है इन सभी स्तरों में अहिंसा का पालन-जीव के जीवत्व में निहित इनमें से किसी अधिकार को किसी रूप में क्षति न पहुँचाना। रोचक तथ्य यह है कि इस निषेधात्मक विवरण में 'अहिंसा' का भावात्मक रूप निखर आता है। हाँ, जैन दर्शन में, शाब्दिक रूप में निषेधात्मक आकार रखते हुए भी अहिंसा एक भावात्मक वृत्ति है- जिसका मूल अर्थ है 'हर जीव के प्रति, उसके जीवत्व के प्रति पूर्ण सम्मान' ।
'पूर्ण सम्मान' का अर्थ है कि यह सम्मान केवल वास्तविक कर्मों में ही नहीं, वचन तथा मन से भी हो । जैन दार्शनिकों ने, हिंसा-अहिंसा के पीछे जो मानसिकता बनती है, उसे समझने का प्रयत्न किया है, अत: उन्हें यह समझ है कि 'अहिंसा' का पालन हर स्तर पर हो, तभी वह अहिंसात्मक मानसिकता का सूचक हो सकता है। इसी कारण उन लोगों ने सभी महाव्रतों के अनुशीलन में नौ ढंगों का उल्लेख किया है। अर्थात्, अहिंसा का पालन हमें कर्म, वचन तथा मन तीनों स्तरों पर करना है। हम किसी को शारीरिक क्षति नहीं पहुँचाते, किन्तु उसके लिए अपशब्द या गाली का प्रयोग करते हैं तो यह भी हिंसा है। हम यह भी नहीं करते, किन्तु, उसके प्रति बुरी भावना रखते हैं तो यह भी मानसिक स्तर की हिंसा है। पुन:, कहा गया है कि इन तीनों स्तरों में अहिंसा का अनुशीलन तीन-तीन रूपों में करना है- जिन्हें कृत, कारित, अनुमित कहा गया है। हिंसा न हम करें, न करायें, और न उसकी स्पष्ट या मौन अनुमति ही दें। स्पष्ट है, जैन दर्शन में अहिंसा-अनुशीलन का अंश व्यापक भी है और कठिन भी।
__ अहिंसा-विचार की इसी व्यापकता एवं कठोरता में तो इस विचार की आधुनिक प्रासंगिकता निहित है। स्पष्ट है, आज हम किसी भी स्तर पर- चाहे वह वैयक्तिक हो, या सामाजिक या राजनैतिक या – हिंसा को रोकने में सफल नहीं हैं, क्योंकि हिंसात्मक अन्तरराष्ट्रीय मानसिकता को हम प्रभावित नहीं कर पाते । मूल आवश्यकता उसी की
___ इस स्थिति में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य ध्यान देने योग्य है । हिरोशिमा, नागासाकी के बाद फिर अणुबम नहीं गिरा- जबकि उनसे अत्यधिक शक्तिशाली बम अनेक राष्ट्रों के
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