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जैनाचार : एक मूल्यांकन
डॉ. अजित शुकदेव
भारतीय सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में, पाश्चात्य नीतिशास्त्र के सामान भारतीय नीतिशास्त्र अथवा व्यावहारिक नीतिशास्त्र का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। ध्यातव्य है कि पाश्चात्य परम्परा में नीतिशास्त्र अपना एक अलग स्थान रखता है, जिसका चरम लक्ष्य सुख, आनन्द, मानवीय पूर्णता अथवा अन्य दूसरे लक्ष्यों का विधान है, जो युक्ति, तर्क एवं बुद्धि से सम्बन्धित है और शुभ के अमूर्त प्रत्यय पर विमर्श करता है। दूसरी ओर भारतीय नीतिशास्त्र आध्यात्मिकता की नींव पर प्रतिष्ठित धर्म एवं आचार के पर्यायवाची होकर व्यापक अर्थबोध कराता है । अतः नीतिशास्त्र यहाँ धर्माधर्म-विवेचनशास्त्र, कर्त्तव्य-मीमांसा, हिताहित- विवेचन अथवा मूल्य-मीमांसा के रूप में सम्बोधित हुआ है । स्वाभाविक है कि नीतिशास्त्र का आधार यहाँ दर्शन एवं धर्म है । यही कारण है कि भारतीय चिन्तक नीतिशास्त्र शब्द के स्थान पर केवल 'नीति' अथवा 'आचार' शब्द का प्रयोग करते हैं ।
इस सन्दर्भ में प्रो. राजबली पाण्डेय का कथन उचित लगता है । उन्होंने स्वीकार किया है कि भारत में नैतिक विचारना के आधारभूत प्रश्नों के उत्तर दर्शन एवं धर्म देते आये हैं। नीति को धर्म से केवल स्वीकृति और अनुज्ञा ही नहीं अपने अस्तित्व का मौलिक आधार भी मिला है। दर्शन ने धर्म और नीति के इस सम्बन्ध की यौक्तिक व्याख्या की है । भारतीय नीति मीमांसा के इस विशिष्ट स्वरूप का कारण भारतीय संस्कृति का मूलतः धर्मदार्शनिक होना है; क्योंकि धर्म, अध्यात्म एवं नीति एक दूसरे से कभी अलग नहीं हो पाये हैं। यही कारण है कि दर्शनशास्त्र भारतीय संस्कृति के ज्ञानात्मक पक्ष, धर्म एवं कला आदि उसके भावनात्मक पक्ष और नीति उसके क्रियात्मक पक्ष की अभिव्यक्ति है ।
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भारतीय नीति-मीमांसा के प्राणतत्त्व दार्शनिक एवं धार्मिक पूर्व मान्यताएँ हैं, जो सतत नीतिशास्त्र को विकसित एवं संवर्द्धित करती आई हैं । अतः इन दार्शनिक एवं धार्मिक पूर्वमान्यताओं के आधार पर ही नीति अथवा आचार की व्याख्या की जाती है । वे पूर्व मान्यताएँ हैं— आत्मा का अस्तित्व, उसका विकास और उसकी अमरता, देह, मन, प्राण आदि के अतिरिक्त आध्यात्मिकता की स्वीकृति; कर्म - सिद्धान्त एवं उसके फल में विश्वास; पूर्वजन्म एवं जन्म-मरण से विमुक्ति, स्वर्ग-नरक का विधान एवं कर्मानुसार आत्मा. की गति, सृष्टि, सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता, संहारकर्ता आदि; इनके अतिरिक्त निर्वाण अथवा
* विश्वभारती, शान्तिनिकेतन (प. बं)
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