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जटासिंहनन्दी का 'वरांगचरित' और उसकी परम्परा
४२. (अ) आपवादिक लिंगं सचेललिंगं...।
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- भगवती आराधना - टीका, पृ. ११४
(ब) चत्तारिजणा भत्तं उवकप्पेंति ...
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चत्तारिजणा रक्खन्ति दवियमुवकप्पियं तयं तेहि । - भगवती आराधना, ६६१ एवं ६६३
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