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अनेकान्तवाद एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान
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को विज्ञान में सम्मानजनक स्वीकृति प्राप्त हुई। दूसरे शब्दों में क्वाण्टम सिद्धान्त कई सन्दर्भो में अकथनीयता को व्यक्ति के ज्ञान की सीमा या यंत्रों की कमजोरी न मानकर पदार्थ की ही विशेषता स्वीकार करता है। यही नहीं, ऐसा भी है कि अकथनीयता के कथन की इतनी आवश्यकता क्वाण्टम सिद्धान्त में रहती है कि इसके बिना क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार वस्तु का स्वरूप समझ में नहीं आ सकता है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता फाइनमैन (Feynman) ने अपनी एक पुस्तक में क्वाण्टम सिद्धान्त की अकथनीयता या अवक्तव्यता को ही मुख्य रूप से समझाने हेत् एक विस्तृत विवेचन 'क्वाण्टम व्यवहार' (Quantum Behaviour) शीर्षक के अन्तर्गत किया। इसमें उन्होंने जो प्रयोग समझाया उसकी चर्चा करना यहां उपयोगी होगा।
इस प्रयोग में दो छिद्रों वाली एक प्लेट के एक तरफ से इलेक्ट्रॉन भेजे जाने की व्यवस्था होती है एवं दूसरी तरफ सामने एक दूसरी प्लेट पर इलेक्ट्रान पहुँचने पर उनकी गिनती की जाती है। यह जानने की व्यवस्था रहती है कि किस स्थान पर कितने इलेक्ट्रॉन पहंचते हैं। इस प्रक्रिया के परिणामों की चर्चा करते हुए फाइनमैन ने मुख्यतया यह समझाने का प्रयास किया है कि यह भी सत्य है कि इलक्ट्रॉन अखण्ड रूप में ही सामने वाली प्लेट पर पहुँचता है यानी इलेक्ट्रान किसी भी छेद में से टुकड़े जैसा होकर नहीं जाता है व दोनों छेदों के अतिरिक्त अन्य मार्ग से भी नहीं जाता है किन्तु यह मानना भी असत्य होगा कि कोई इलेक्ट्रान या तो छेद नं० १ से होकर गया होगा या छेद नं० २ से होकर गया होगा। यदि यह माना जाये कि इलेक्ट्रान या तो छेद नं० १ से गया होगा या छेद नं० २ से गया होगा तो सिद्धान्त एवं प्रयोग में विरोध आयेगा ।६ यानी स्थिति यह है कि किसी अपेक्षा से छेद नं० १ से इलेक्ट्रान का जाना कहा जा सकता है तो किसी अपेक्षा से उसी छेद से नहीं जाना कहा जा सकता है, और किसी अपेक्षा से अवक्तव्यपना या अकथनीयता भी कहा जा सकता है। यानी बिना अवक्तव्यपने का सहारा लिये इस प्रयोग में इलेक्ट्रान का क्वाण्टम व्यवहार व्यक्त नहीं किया जा सकता है। (हमारी सामान्य तर्क बुद्धि को शायद यह स्वीकार नहीं हो सकता है कि 'यह मानना भी असत्य होगा कि कोई इलेक्ट्रान या तो छेद नं० १ से होकर गया होगा या छेद नं० २ से होकर गया होगा। क्योंकि सामान्य तर्क बुद्धि यही कहेगी कि चूंकि इलेक्ट्रान छेदों से ही होकर जाता है अत: या तो छेद नं० १ से गया होगा या छेद नं० २ से गया होगा)।
हम क्वाण्टम सिद्धान्त में सूक्ष्म कणों के बारे में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से स्याद्वाद के सातों भंगों (कथनों) को स्वीकार करते हैं। उदाहरण के रूप में हम यहां इलेक्ट्रान के लिये यह कथन यहां लिख रहे हैं जो क्वाण्टम सिद्धान्त के द्वारा मान्य
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