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Multi-dimensional Application of Anekāntavāda
१. आत्मनिरीक्षण विधि २. गाथा वर्णनविधि वस्तुनिष्ठ विधियाँ १. प्रयोगात्मक विधि २. निरीक्षण विधि ३. जीवन-इतिहास विधि ४. उपचारात्मक विधि
विकासात्मक विधि
मनोविश्लेषण विधि ७. तुलनात्मक विधि ८. सांख्यिकी विधि ९. परीक्षण विधि . १०. साक्षात्कार विधि ११. प्रश्नावली विधि १२. विभेदात्मक विधि १३. मनोभौतिकी विधि
___ इस प्रकार की और भी विधियों का अविष्कार आगे हो सकता है। मनोविज्ञान के सिद्धान्तों के प्रतिपादन में हमें अनेकान्त के दर्शन होते हैं। उदाहरणार्थ- वंशानुक्रम के सिद्धान्त के विषय में लोगों की अलग-अलग राय है। सोरेनसन ने लिखा है कि बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान, साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मन्दबुद्धि माता-पिता के बच्चे मन्दबुद्धि होते हैं। इसी प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता-पिता के समान होते हैं। विभिन्नता के नियम के प्रतिपादकों का कहना है कि बालक माता-पिता के बिल्कुल समान न होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं। प्रत्यागमन का नियम यह कहता है कि बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति तथा बहत निम्नकोटि के माता-पिता के बच्चों में कम निम्नकोटि होती है। इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करते हैं। यही कारण है कि महान् व्यक्तियों के पुत्र साधारणतया उनके समान महान् नहीं होते हैं। उदाहरणार्थ बाबर, अकबर, और महात्मा गांधी के पुत्र उनसे बहुत अधिक निम्न कोटि के थे। एकान्तवादी उपर्युक्त तीनों पक्षों में से किसी एक को स्वीकार करता है। अनेकान्ती भिन्न-भिन्न अपेक्षाओं से तीनों को ही सत्य स्वीकार करता है।
वातावरण का प्रभाव मानने वालों का कहना है कि बालक के ऊपर मात्र
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