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Multi-dimensional Application of Anekāntavāda
भाव-शुद्धि की धारा प्रवहमान रहती है और तामसिक-मांसाहार, मत्स्याहार, अन्डे के सेवन से अशुद्ध धारा उत्पन्न होती है। आहार के मूल में न्यायसंपन्न वैभव होना अत्यंत आवश्यक है। सत्संग, ध्यान, तप-त्याग, यम-नियम, दया-दान आदि आलम्बनों के साथ चित्त को लगा दें, जिससे कि भावधारा (अध्यवसाय) अशुद्ध न बने। प्रिय और अप्रिय; राग और द्वेष; मित्र और शत्र; सन्तान और अपमान; इष्ट और अनिष्ट; भय और अभय; अनुकूल और प्रतिकूल; शुभ और अशुभ; अहिंसा चोरी का भाव न जगे। सावधान! अगर आलंबनों को ही सब कुछ मान लेंगे तो और भ्रान्ति पनप जाएगी। इनके सहारे अन्त:करण में प्रवेश करें और स्व में स्थिरीकरण करें। आलम्बनों का उपयोग है। इनके बिना और प्रक्रिया के बिना कहीं पहुंचा ही नहीं जा सकता। हर कोई आदमी सीधा प्रशम नहीं बन जाता। एक निश्चित प्रणाली से गुजरना होता है। जब उस प्रणाली का अंतिम बिन्दु प्राप्त होता है तो व्यक्ति पूर्ण शांत बन जाता है।
हमारा दृष्टिकोण बहुत एकांगी होता है। सिद्धांत को पढ़ते हैं किन्तु एकांगिता से ग्रहण करते हैं। जहां एकांगिता होती है वहां सार्थकता कम होती है और अनर्थ की संभावना अधिक है। हमारा मन सामाजिक वातावरण से प्रभावित होता है यह सच है। हमारा मन द्रव्य, क्षेत्र, काल से प्रभावित होता है, सच्चाई है। हमारा मन भाव से यानी अवस्था विशेष से प्रभावित होता है, यह भी सच्चाई है। यह शिक्षा और संस्कारों से प्रभावित होता है, यह भी सच्चाई है। न्याय संपन्न वैभव और आहार से भी प्रभावित होता है यह भी सच्चाई है। किन्तु ये सारी की सारी सच्चाइयां एकांगी सच्चाइयां हैं। पूर्ण सत्य एक भी नहीं है। यदि हम पूर्ण सत्य के आधार पर एक बात को पकड़कर बैठ जायें तो बड़ी समस्या पैदा हो सकती है और हमें सच्चा समाधान नहीं मिल सकता। हमें सापेक्षवाद से समझना होगा और सही निष्कर्ष निकालना होगा।
एक यक्ष प्रश्न है कि जब हमारा मन इतने प्रभावों से प्रभावित है तब मानसिक शान्ति मिलने का हमारे सामने प्रश्न ही नहीं। हम तो निरन्तर मानसिक अशान्ति के चक्र में ही फंसे रहेंगे। मगर ऐसी बात नहीं है। अनेक प्रभाव जरूर आते हैं किन्तु हमारे पास सुरक्षा के साधन भी विद्यमान हैं। वह उपाय है- भावशुद्धि और सतत् जागरूकता।
मानसिक अशांति और तनाव के अनेक कारण हैं। उन सबका सम्यक् विश्लेषण किए बिना हम मन की समस्याओं का सच्चा समाधान नहीं दे सकते। हर व्यक्ति जाने या न जाने पर कम से कम जो मानसिक शान्ति के क्षेत्र में काम करने वाले हैं, मानसिक चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले हैं, राष्ट्र और विश्व शान्ति की चर्चा
और परिक्रमा करने वाले हैं और अहिंसा के क्षेत्र में काम करने वाले हैं उन लोगों के लिये तो यह बहुत जरूरी है कि वे उन सारे हेतुओं को सम्यक् रूप से जानें-समझें और फिर समाधान की बात करें।
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