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Multi-dimensional Application of Anekāntavāda
३. जैन-धर्म-दर्शन, डॉ० मोहनलाल मेहता, पृ० २८२ ४. जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या' डॉ० भिखारी राम
यादव, पृ०- ४५-४६ ५. मुनि श्री हजारीमल स्मृति ग्रंथ, पृ० -३५० ६. जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या, डॉ० भिखारी यादव
पृ०-४८ ७. दर्शन और चिंतन भाग-२ पृ० १५१ ८. भारतीय दर्शन की रूपरेखा, हिरियन्ना पृ०- ५२ ९. जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या, डॉ० भिखारी राम यादव
पृ०-१ १०. जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या- डॉ० भिखारी राम यादव
पृ०-३५ ११. अनेकांतवाद- डॉ० भागचन्द्र जैन "भागेन्दु” पृ० -१३ १२. श्रमण, जनवरी ८२ पृ०- ३४-३५ १३. जैनेन्द्र सिद्धांतकोश, भाग-४ पृ०-४९७ १४. श्रमण, अंक-१० "अगस्त'- ८० पृ०-२३ । १५. जैन शासन- एस० सी० दिवाकर पृ०-१७० १६. जैन शासन- एस० सी० दिवाकर पृ०-१६७ १७. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश भाग-४ पृ०-४९८ १८. जैन दर्शन- पृ०- ३६१-६२ १९. जैन दर्शन और संस्कृति-आधुनिक संदर्भ में पृ०-५७ २०. जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या पृ०-५५ २१. जैन शासन- एस० सी० दिवाकर पृ०-१७४-१७५ २२. जैन शासन-एस० सी० दिवाकर पृ०-१७५ २३. महावीर जयन्ती स्मारिका-१९७७ पृ० १-४१ २४. जैन दर्शन और संस्कृति आधुनिक संदर्भ में पृ०-५८ २५. अभिधान राजेन्द्र कोश, खंड-४ पृ०-१८५३ २६. Jain Darshan & Sanskriti, P. 62 २७. जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या- पृ० -६३ २८. जैन दर्शन,महेन्द्र कुमार जी, प्रथम संस्करण, काशी १९५५ ई० पृ०-५४। २९. श्री अमर भारती, अगस्त-८५ पृ०-२१ ३०. अनेकांतवाद : एक परिशीलन
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