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अनेकान्तवाद की उपयोगिता
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वस्तु का युगपत् कथन करना अशक्य होने से प्रयोजनवश, कभी एक धर्म को मुख्य करके कथन करते हैं और कभी दूसरे को।'' १३
आचार्य अमृतचंद्र ने इस बात को एक दैनन्दिन जीवन के उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया है। वे कहते हैं कि
जिस प्रकार दही का मंथन कर मक्खन निकलने वाली ग्वालिन मथानी की रस्सी को जब एक हाथ से अपनी ओर खिचंती है तब दूसरे हाथ की रस्सी को ढीला कर देती है, उसी प्रकार यह अनेकांत पद्धति भी जब वस्तु के एक धर्म को मुख्य बताती है तब दूसरे को गौण करती है। यही इसकी विजय का रहस्य है ।'' १४ जैसे आकर्षण और शिथिलीकरण द्वारा ग्वालिन दही से मक्खनरूपी सारभूत तत्त्व को प्राप्त करती है। वैसे ही अनेकांत विद्या एक दृष्टि को मुख्य बनाती है तथा अन्य को गौण। इस प्रक्रिया के द्वारा वह तत्त्वज्ञानरूपी अमृत को प्राप्त करती है। इसीलिए आचार्य ने “अन्तेन जयति जैनीनीतिः' कहा है।
इस तरह वस्तु के अनेक धर्मों-गुणों को दृष्टि में गौण बनाते हुए विशेष को प्रमुख बनाकर प्रतिपादन करना स्याद्वाद है। स्वामी समंतभद्र कहते हैं -
“स्याद्वादः सर्वथैकान्तत्यागात् किंवृत्तचिद्विधिः” आप्तमीमांसा-१०४ लघीयस्त्रय में अकलंकदेव लिखते हैं -
“अनेकान्तात्मकार्थकथनं स्याद्वादः।''१५ अर्थात् “अनेकान्तात्मक अनेक धर्म-विशिष्ट वस्तु का कथन करना स्याद्वाद है।
जैनेन्द्रसिद्धांतकोश में कहा गया है कि "प्रकारेणानेकान्तरूपेण वदनं वादो जल्पः कथन प्रतिपादनमिति१६ अर्थात् 'स्यात्' अर्थात् 'कथंचित्' या विवक्षित प्रकार से अनेकान्त रूप से वदना, वाद करना, जल्प करना, कहना, प्रतिपादन करना स्याद्वाद है।" १७ वस्तुतः स्याद्वाद का फलितार्थ है- अनेकान्तप्रतिरूपक भाषायी पद्वति अत: अनेकान्तवाद इसी स्याद्वाद पद्धति से प्ररूपित होता है। डॉ० महेन्द्र कुमार ने कहा है कि “स्याद्वाद" भाषा की निर्दोष प्रणाली है, जो वस्तु तत्त्व का प्रतिपादन करती है। इसमें लगा हुआ “स्यात्' शब्द प्रत्यके वाक्य के सापेक्ष होने की सूचना देता है। "स्यात् अस्ति' वाक्य में “अस्ति' पद वस्तु के अस्तित्व धर्म का मुख्य रूप से प्रतिपादन करता है तो “स्यात्' शब्द उसमें रहने वाले नास्तित्व आदि शेष अनंत धर्मों का सद्भाव बताता है कि “वस्तु अस्ति' मात्र ही नहीं है उसमें गौण रूप से नास्तित्व आदि धर्म भी विद्यमान हैं।" १८ स्याद्वाद के इसी आशय का विवेचन करते हुए डॉ० सागरमल जैन ने कहा है कि “वह एक ऐसा सिद्धांत है जो वस्तुतत्त्व का विविध पहलुओं या विविध निर्णयों को इस प्रकार की भाषा में प्रस्तुत करता है कि वे
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