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राजर्षि, विपुलमती आदि की कथाऐं यहाँ पर भी दी गई हैं । ये अपभ्रंश एवं गुजराती इत्यादि भाषाओं में लिखित कई कृतियों में मुख्य रूप से प्राचीन गुजराती में रची गई कृतियों के विषय में सुमतिनाथचरित्र के कथावस्तु को मुख्यतः तीन विभागों में विभक्त विभाग १.
बहुत सी प्राकृत कथाएँ सांगोपांगतः थोड़े से परिवर्तन के साथ अनुवादित रूप में अवतरित हुई हैं जो प्राचीन गुजराती में रास, चौपाई, प्रबंध इत्यादि के स्वरूप में देखने को मिलती हैं । उदाहरण के तौर पर - स्त्री चरित्र का निरूपण करनेवाली मदन- घनदेवकथा, प्रमादगुण पर लिखी गई पुण्यमारकथा, दानविषयक क्षुल्लकमुनिकथा, संसार के अनेक विचित्र संबंधों पर रचित कुबेरदत्त - कुबेरदत्ताकथा अतिलोभ पर लिखी गई अमरसेन - वयरसेनकथा, शील की महिमा दर्शानेवाली शीलवतीकथा, परस्त्रीविरमण पर रचित रणवीरकथा आदि को हम ले सकते हैं । इन पर प्राचोन गुजराती में भी रास, चौपाई, चरित्र, प्रबंध जैसी रचनाऐं एक से अधिक कवि अथवा कर्ता द्वारा लिखी गई हैं, और यह प्राकृत कथा - साहित्य का प्राचीन गुजराती कथा - साहित्य पर पड़े हुए प्रभाव का द्योतक है ।
उपर्युक्त कथाओं के एक से अधिक रूपान्तर प्राप्त होते हैं । उनमें से निम्न लिखित कथाओं के रूपान्तर उल्लेखनीय हैं:
कथाऐं संस्कृत, प्राकृत, मिलती हैं । यहाँ पर विचार किया गया है । किया जा सकता है ।
९. प्रमाद विषयक दृष्टांत के तौर पर उपलब्ध पुण्यसारकथा के पांच रूपान्तर प्राचीन गुजराती में प्राप्त होते हैं ।
(१) साधुमेरुकृत पुण्यसारकुमाररास [ ई. स. १४४४ ] ( २ ) अज्ञातकृत पुण्यसाररास [ ई. स. १६वीं शती ] (३) पुण्यकीर्तिकृत पुण्यसाररास [ ई. स. १६०९] (४) तेजचन्द्रकृत पुण्यसाररास [ ई. स. १६४३ ]
(५) अमृतसागर कृत पुण्यसाररास [ ई. स. १७५० ]
२. अतिलोभ विषयक अमरसेन -वयरसेन कथा गुजराती में अत्यधिक प्रसिद्ध हुई है । फलस्वरूप इसके निम्नलिखित आठ रूपान्तर प्राप्त होते हैं ।
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१५३८ ]
(१) राजशीलकृत अमरसेन - वयरसेन चौपाई [ई. स. (२) कमलहर्षकृत अमरसेन - वयरसेन चौपाई [ ई. स. १५८४ ] (३) संघविजयकृत अमरसेन-वयरसेन आख्यानक [ ई. स. १६२३]
१६६१ ]
१६६० ]
( ४ ) जयरंगकृत अमरसेन - वयरसेन चौपाई | ई. स. (५) दयासारकृत अमरसेन - वयरसेन चौपाई [ ई. स. (६) धर्मवर्धनकृत अमरसेन - वयरसेन चौपाई [ ई. स. (७) तेजपालकृत अमरसेन-वयरसेन चौपाई [ ई. स. (८) जीवसागर कृत अमरसेन- वयरसेन चौपाई [ई. स. १७१२]
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