________________ Don वैशाली-दिग्दर्शन' जगदीशचन्द्र माथुर, आई० सी० एस० - ( गुनगुनाते हुए पथिक की प्रवेशे-j ___...... खोजता है खोजता है. मौन धरती में निमन्त्रण जो युगों की याद में रम गंध सा खेडहरों के दलित कुसुमो पर कुभाता राह खोये मुझ भ्रमर को। खोजता हूँस्मृति सौरम रज्जु का लेकर महारा खोजता हूँ....."खोजता हूँ-(फिर गुनगुनाता) ( एक ग्रामीण का प्रवेश ) ग्रा०-तुम कौन हो? ५०-मैं ! पथिक'...'यात्री। 1. ऑल इण्डिया रेडियो (पटना) के सौजन्य से। 37