________________ '276 Homage to Vaisali राज्याभिषेक करीब चौदहवीं सदी ई० पू० के मध्य हुआ था। यदि ऐसी बात हो, तो बुद्ध के कई शताब्दी-पूर्व वैशाली-प्रजातन्त्र का अस्तित्व मानना पड़ेगा। इस बात के जानने का हमारे पास कोई पुष्ट प्रमाण नहीं कि वैशाली में किस प्रकार राजतन्त्र के पश्चात् प्रजातन्त्र का आगमन हुआ। क्या सुमति वैशालिक-वंश का अन्तिम राजा या? केवल इस बात से कि वंशावली के नाम वहीं पर आकर रुक जाते हैं, ऐसा परिणाम नहीं निकाला जा सकता / फिर भी एक बात स्पष्ट है जिससे कुछ अनुमान लगाया जा सकता है। जातक के अनुसार लिच्छवि-शासन के अधिकारी जो 7707 पुरुष थे वे अपने को 'राजूनम् कहते थे। शायद वे इसलिए ऐसा कहे जाते रहे हों कि किसी प्राचीन राजवंश से के प्रादुर्भूत हुए हों। किन्तु हम 'राजूनम्' शब्द को उतना महत्त्व नहीं देते जितना इस बात को कि वैशाली के 7707 शासक राजकुलोद्भव कुमारों जैसा बर्ताव करते थे। मद्दसाल जातक में वैशाली की उस पुष्करिणी का उल्लेख है जहाँ से राजाओं के अभिषेक के लिए जल मंगवाया जाता था / इस पुष्करिणी के जल की भलीभांति रक्षा की जाती थी और जो राजकुल का नहीं था, वह उसके जल को भ्रष्ट नहीं कर सकता था / कथा है कि एक बार कोसल के सेनापति ने अपनी स्त्री को इसमें स्नान कराया था, जिस लिए पांच सौ क्रुद्ध लिच्छविराजाओं ने उसका बुरी तरह पीछा किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि वैशाली-प्रजातन्त्र की स्थापना किसी क्रान्ति अथवा युद्ध के पश्चात् जिसके फलस्वरूप राजतन्त्र का अन्त हुआ हो, नहीं हुई थी। यह सच है कि यहाँ प्रजातन्त्र के पूर्व राजतन्त्र प्रचलित था / यहाँ का प्रजातन्त्र क्रमिक विकास का परिणाम प्रतीत होता है। राजा के ज्येष्ठ पुत्रों के साथ अधिकारों का उपयोग करने के कारण राजा के छोटे राजकुमारों द्वारा यह परिवर्तन लाया गया मालूम पड़ता है। प्रारम्भ में एकतन्त्र राजा की मृत्यु के पश्चात् उसके सभी पुत्रों को राज्याधिकार / मिला होगा और इस प्रथा के चलते रहने के फलस्वरूप राज करने वाले कुमारों की संख्या क्रमशः बढ़ती गयी होगी, यहाँ तक कि उनकी संख्या 7707 पहुंच गयी। सम्भवतः जिस जातक ने इस संख्या का उल्लेख किया है उसकी रचना के समय लिच्छवि-शासकों की यही संख्या रही हो। यह संख्या लिच्छवि-शासन-विधान द्वारा निश्चित संख्या नहीं मानी जा सकती। राजतन्त्र से प्रजातन्त्र में परिवर्तित होने का एक दूसरा कारण लिच्छवियों को बढ़ती हुई व्यापारिक समृद्धि के फलस्वरूप वैशाली के कुछ लोगों के पास अर्थसंचय हो सकता है / मार्कण्डेयपुराण में लिखा है कि राजा नामाग ने एक वैश्य कन्या से विवाह किया था, जिससे उनके वंशज वैश्य हो गये, किन्तु विदेह के राजा क्षत्रिय ही रहे। इससे यह पता चल सकता 1. हेमचन्द्र रायचौधरी, उल्लिखित, पृष्ठ 16 / 2. देखिये के० पी० जायसवाल, उल्लिखित, पृष्ठ 51 / 3. देखिये आर० सी० मजूमदार, कॉरपोरेट लाइफ इन ऐशियंट इन्डिया, पृष्ठ 227 / 4. वही / 5. देखिये एस० एन० सिंह, उल्लिखित, पृष्ठ 22 (पादटिप्पणी)।