________________ 264 Homage to Vaisali है कि दोनों प्रदेशों के राजघरानों तथा उच्चवर्गों में एक दूसरे के प्रति अत्यन्त द्वेष तथा तीन घृणा थी। राजा चेटक ने राजा श्रेणिक को अपनी कन्या देने से अस्वीकार करते हुए बिन वाक्यों का प्रयोग किया है, उससे हमारे उपयुक्त अनुमान की पुष्टि होती है / वैशाली के लोग अपने को उच्च कुल का समझते थे और मगध के राजकुल को हीन कुल का। स्वभावतः इस विचार-धारा की प्रतिक्रिया हो सकती है। कूणिक के मन में यह विचार भी हो सकता है कि राजा चेटक द्वारा किये गये अपने कुल के अपमान का प्रतीकार करे / ... जैनग्रन्थों और बौद्धग्रन्थों में तत्कालीन वैशाली गणतन्त्र का वर्णन करते हुए उसे अत्यन्त समृद्ध और धन-वैभवसम्पन्न बताया है, इस कारण भी कूणिक की गृध्र-दृष्टि बंधाली पर दी। . बौद्ध साहित्य द्वारा प्रतिपादित कूणिक की राजनीतिक योजनओं और सैनिक सज्जाओं से भी उपयुक्त अनुमानों की पुष्टि होती है। जिन योजनाओं को कृणिक बहुत देर से तैयार कर रहा था, उनका तात्कालिक कारण बेहल्ल और हल्ल द्वारा भाग कर चेटक की शरण में जाना बताया गया। इस प्रकार इस गणतन्त्र के नष्ट होने में मुख्यतया तीन कारण थे-प्रथम तो कूणिक की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति और देश-विस्तार की इच्छा, दूसरा दोनों राजवंशों में परस्पर द्वेष और घृणा तथा तीसरा वैशाली गणतन्त्र का वैभव / संक्षेप में जनदृष्टिकोण से विदेह जनपद की राजधानी वैशाली थी। यह महावीर स्वामी के समय एक गणतन्त्र राज्य था और इसका अध्यक्ष राजा चेटक था। राजा चेटक महावीर स्वामी का मामा था। महावीर स्वामी-जो कि २४वें तीर्थकर माने जाते हैं-भी इसी वैशाली नगर के निकटस्थ क्षत्रियकुण्ड (आधुनिक बासुकुण्ड) में उत्पन्न हुए थे / वे 30 वर्ष की आयु तक वैशाली में ही रहे / दीक्षा लेने के बाद उन्होने 12 चातुर्मास वैशाली में किये / 1. त्रि० स० पु० च० पर्व 10, सर्ग 6, श्लोक 184 / .. 2. महापरिनिम्बाणसुत्त 1. 1 / VARAN BASIRSS