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________________ 363 अमृत महोत्सव स्मृति ग्रंथ आरोप भी अज्ञानता प्रदर्शक लगता है। ___सृष्टिकर्तृत्व, संहारक - पालनहार, फलदाता, सृष्टि संचालक आदि पक्षों की मान्यता माननेवालों ने ईश्वर के स्वरूप को जो अतिशय विकृत कर दिया है, ईश्वर के यथार्थस्वरूप पर जो कालिमा लगा दी है उस विकृति और कालिमा को हटाने की पूरी कोशीष जैन दर्शन ने की है। और फल स्वरूप ईश्वर के शुद्धतम यथार्थ - वास्तविक स्वरूप को जगत के सामने रखने की जैन दर्शन ने दार्शनिक क्षेत्र में महान सेवा की है। यह श्रेय एक मात्र जैन दर्शन को ही जाता है। समस्त जगत के असंख्य जीवों को मिथ्याज्ञान, अज्ञान, मिथ्यात्व के भंवर में से बाहर निकालकर यथार्थ सम्यग् ज्ञान सम्यकत्व तक पहुंचाकर ईश्वर का वास्तविक स्वरूप समझाने का अथाग पुरुषार्थ करके जैन दर्शन ने दार्शनिक क्षेत्र में जो अजोड सेवा की है वह यावचन्द्रदिवाकरौ काल तक अमर - अमिट रहेगी। सिद्धसेन दिवाकरमूरि, वादिदेवसूरि, हेमचन्द्राचार्य, भट्ट अकलंक, विद्याचन्द्र, प्रभाचन्द्र, मल्लिषेणसूरि, महामहोपाध्याय यशोविजय वाचकवर्य आदि जैन दर्शन के धुरन्धर दार्शीनक महापुरुषों ने अपनी तर्कपूर्ण दार्शनिक कृतियों में ईश्वर विषयक मीमांसा अत्यन्त तर्क युक्तिपूर्वक अनेक प्रमाणों से की है। बुद्धिगम्य बौद्धिक विचारणा काफी गहराई में जाते हुए की है। ऐसा करके बौद्धिक जगत में बहुत बड़ा अनुदान किया है। फलस्वरूप यथार्थ ज्ञान प्रदान किया है। जो अकाट्य है। तर्क-युक्ति प्रमाणों से भरपूर है। बुद्धिजीवी वर्ग को सन्मति तर्क, प्रमेयकमल मार्तण्ड, न्यायकुमुदचन्द्रोदय, शास्त्रवार्तासमुच्चय, प्रमाणनयतत्त्वालोक, स्याद्वादमंजरी, स्याद्वादकल्पलताटीका, आदि अनेक मूर्धन्य जैन दार्शनिक ग्रन्थों का अवलोकन करके उनमें से नवनीत प्राप्त करके बुद्धि प्राप्ति की सार्थकता सिद्ध करनी चाहिए। ___ संसार में अनेक दर्शन-मत एवं धर्म प्रचलित है उनमें से अधिकांश मत ईश्वर कर्तृत्ववादी दर्शन है जो सृष्टिकर्ता, संहर्ता, प्रलयकर्ता, पालनहार, कर्मफलदाता, सुख-दु:ख दाता, सृष्टि संचालक, सृष्टि व्यवस्थापक आदि में ही ईश्वर को मानते है। सिर्फ जैन, बौद्ध एवं मीमांसा दर्शन ईश्वर में
SR No.012087
Book TitleMahavir Jain Vidyalay Amrut Mahotsav Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakul Raval, C N Sanghvi
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1994
Total Pages408
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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