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संस्मरण
कि एक ही स्थान पर सब कुछ केन्द्रित न करके भारतके सात लाख गावोंको आत्म-निर्भर और आत्म-पूरित बनाया जाय ।
वर्णीजी शतंजीवी हों और उनके द्वरा भारतके कोटि-कोटि जनको श्रात्म- विकास और सेवाकी प्रेरणा मिलती रहे। .
.. ७८, दरियागंज दिल्ली ]--. .. यशपालजैन, बी० ए, एलएल, बी०
सागरमें आयी एक लहर विद्वर विलियमके समान, विद्या सीखी जिस योगी ने । फिर खोले विद्यालय अनेक, जिस न्याय-धर्मके भोगीने ॥
आया है वही गणेश इधर ।
सागरमें आयी एक लहर ॥ थे गये मेघ बन सागरसे, ईसरी मरुस्थल में बरसे। कर दिया वहां पर हरा भरा, पर सागरके जन थे तरसे . . .
देखा तब उनने तनिक इधर ।
सागरमें आयी एक लहर ॥ थे सात बरस जब वीत गये, मनमें हिलोर उनके आयी। चल दिये यहां को पैदल ही, जनता उनको लेने धायी ॥
- हर्षित हो उठे बुंदेला नर।
सागरमें आयी एक लहर ॥ । सूरत]--..... ..--कमलादेवी जैन
सैंतालिस
भाया।