SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 646
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्व० बा० कृष्णबलदेवजी वर्मा वर्माजीने लखनऊ से 'विद्या-विनोद समाचार' साप्ताहिक पत्र तथा काशीसे भी एक पत्र निकाला था जो कि कई वर्ष तक बड़ी ही सफलता पूर्वक चलते रहे। वर्माजी प्रायः २५ वर्ष तक लगातार जालौन जिलेके डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य तथा कालपी म्यूनिसिपेल्टीके सदस्य रहे । पश्चात सर्वप्रथम गैरसरकारी म्यूनिसिपल-चैयरमैन भी आप ही हुए और बहुत वर्षों तक बड़ी ही योग्यतापूर्वक उस कार्यको आपने निबाहा। आप आनरेरी मजिस्ट्रेट भी रहे हैं । सार्वजनिक कार्यों में इतने व्यस्त रहने पर भी आपने साहित्य-सेवाके व्रतको बड़ी ही तत्परतासे जीवन भर रक्खा । सरस्वती आदि पत्रिकाओंमें आपके उच्चकोटिके लेख निकलते रहते थे । आपके सन् १९०१ ई० की सरस्वती ( भाग दूसरा, संख्या ८ तथा ९, पृष्ठ २६२-२७१ तथा ३०१-३०६) में 'बुन्देलखण्ड पर्यटन' शीर्षक लेखसे प्रभावित होकर स्व० ओरछानरेश महाराजा श्री प्रतापसिंहजू देवने आदर पूर्वक आपके परामर्श हो के अनुसार ओरछेकी प्राचीन इमारतोंकी रक्षाका प्रबन्ध कर दिया था। ___ 'काशी-नागरी-प्रचारिणी सभा' के जन्मदाताओं में से वर्माजी एक प्रधान व्यक्ति थे और समय समय पर आप अपना भरपूर सहयोग उसे जीवन भर देते ही रहे । अाप प्रयागकी हिन्दुस्तानी एकाडेमीके सभासद तथा एकाडेमीकी त्रैमासिक मुखपत्रिका 'हिन्दुस्तानी' के सम्पादक मण्डलमें थे। वर्माजीका अध्ययन बहुत ही अधिक था और स्मरणशक्ति भी आपकी गजबकी थी । संस्कृत और दी की अगणित कविताएं आपको कराठान थीं । वार्तालापमें जिस कविकी चर्चा आ जाती थी उसके कितने ही छन्द आप तुरन्त सुना दिया करते थे, बुन्देलखण्डके इतिहासका आपने बड़ी ही खोजसे संकलन किया था। बुन्देलखण्डके लिए आपकी बड़ी ऊंची धारणा थी आपके एक पत्रमें जो कि उन्होंने काशीसे २३-१२-३० को मुझे लिखा था कुछ विवरण देखिए काशी २३-१२-३० 'पूज्यवर प्रणाम आपको यह जानकर दुःख होगा कि मैं तां० २३ को इलाहाबाद गया, वहां से अोरियण्टल कान्फ्रेंस एटैन्ड करने पाटलिपुत्र गया, वहांसे बौद्धकालीन यूनीवर्सिटी नालंदा, राजगिरि, वैशाली, सहसाराम, श्रादि देखनेको था कि पाटलिपुत्रमें सख्त बीमार पड़ गया और यहां काशी अपने भानजे डाक्टर अटलविहारी सेठ M.B.B.S. मेडीकल श्राफीसर Central Hindu School Banaras के यहां लौट आया।
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy