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________________ वर्णी-अभिनन्दन ग्रन्थ इसका व्यापक अर्थ यह है कि शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, सुख, सुविधा, साधन, इत्यादिका जो सर्वसाधारणके साथ मिल बांट कर उपयोग अथवा उपभोग करते हैं वे ही श्रेष्ठ पुरुष हैं । भगवानके इन शब्दोंमें व्यक्तियों तथा जनपदों और देशोंके लिए भी सन्देश छिपा हुआ है । यदि विन्ध्यप्रदेश गौरवपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहता है तो उसे अपनी सर्वोत्तम भेंट मातृभूमिके चरणोंमें अर्पित करनी होगी, और अखिल विश्वके हितमें ही हमारी मातृभूमिके महान ध्येयको निरन्तर अपने सामने रखकर जो भी व्यक्ति अपने कुटुम्ब, नगर, जनपद अथवा देशकी सेवा करता है वही वस्तुतः जीवित है-- बाकी सब तो घासफूसकी तरह उग रहे हैं। NDowan ५२२
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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